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दुनिया में मोटे लोगों की आबादी  पतलों से ज्यादा हुई

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पतलों की गिनती से ज्यादा हुई मोटों की आबादी    Image courtesy : Pixabay

दुनिया में मोटे लोगों की गिनती पतलों से ज्यादा हो गई है। एक बड़ा खतरा बिना शोर मचाए बढ़ता चला जा रहा है। क्या आप जातने हैं इसके क्या नतीजे होंगे – बीमारियां और भोजन पानी की कमी। मोटे लोग ज्यादा ईंधन और भोजन खर्च करते हैं। मोटे लोगों की तादाद इसी तरह से बढ़ती रही तो यह लंबे समय नहीं चल सकता।

पिछले 40 सालों में दुनिया के 200 देशों के लोगों के बॉडी मास इंडेक्स के अध्ययन से बात सामने आई है। पूरा अध्ययन लेंसेट के मेडिकल जर्नल में छपा है। इसके मुताबिक, वयस्‍क मोटे लोगों की गिनती जो कि 1975 में 105 मिलियन थी वो अब बढ़कर 641 मिलियन हो गई है (एक मिलियन में 10 लाख होते हैं)।

सन 1975 के बाद से मोटे मर्दों की गिनती तीन गुना और मोटी औरतों की गिनती दोगुने से ज्यादा बढ़ी है। इस दौरान कम वजन वाले लोगों की गिनती करीब एक तिहाई कम हुई है।

इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के सीनियर ऑथर माजिद इजाती (Majid) कहते हैं, चालीस साल पहले हम एक ऐसी दुनिया में रहते थे जहां मोटे लोगों की तुलना में अंडरवेट लोगों की संख्या दोगुनी थी। धीरे धीरे यह दुनिया बदल गई और आज हम जिस दुनिया में रह रहे हैं वहां मोटे लोगों की संख्या अंडरवेट लोगों से ज्यादा है।

दुनियाभर के मोटों लोगों की आबादी का पांचवा हिस्सा छह अमीर और अंग्रेजी बोलने वाले देशों में रहता है – ऑस्ट्रेलिया, आयरलैंड, कनाडा, न्यूजीलैंड, इंग्लैंड और अमेरिका। ऑस्ट्रेलिया की तो करीब 25 फीसदी जनता बेहद मोटी है।

दक्षिण एशिया की करीब एक चौथाई आबादी अंडरवेट है। मध्य और पूर्वी एशिया में भी जरूरत से कम वजन वाले मर्द 15 फीसदी और औरतें 12 फीसदी से ज्यादा हैं।
साइंस अलर्ट डॉट कॉम

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