सत्तू को लेकर इन दिनों सोशल मीडिया पर अच्छी-खासी बहस चल रही है। कुछ अर्सा पहले कई इंफ्लुएंसर्स ने इसकी तारीफों के पुल बांधे। उसके बाद अचानक ऐसे लोगों की बाढ़ आ गई जो इसका मजाक बना रहे हैं। सत्तू बॉडी बिल्डिंग के लिए कितना कारगर है। इस सवाल का जवाब हां या ना में नहीं दिया जा सकता। वैसे व्हे प्रोटीन बनाने वाली कंपनियां तो यही चाहेंगी सत्तू को जितना बदनाम किया जा सकता है करें।
अगर कोई कहे कि क्या सत्तू बॉडी बिल्डिंग में मदद करता है तो मैं कहूंगा हां। अगर कोई कहे कि क्या केवल सत्तू के बल में मैं बॉडी बिल्डिंग कर सकता हूं तो मैं कहूंगा ना। और अगर कोई पूछे कि क्या मैं व्हे प्रोटीन की जगह सत्तू का इस्तेमाल कर सकता हूं तो इसका जवाब होगा हां।
सीधे शब्दों में कहूं तो प्रोफेशनल बॉडी बिल्डिंग को छोड़कर बाकी सबमें सत्तू का बेझिझक बेहतरीन इस्तेमाल हो सकता है। भाई आपके शरीर को खुराक चाहिए, अगर वो खुराक सत्तू से मिल रही है तो क्या बुरा है।
व्हे प्रोटीन के मुकाबले सत्तू – कमियां
सौ ग्राम व्हे प्रोटीन में 78 ग्राम के आसपास प्रोटीन होता है, जबकि 100 ग्राम सत्तू में 18 ग्राम।
सत्तू के मुकाबले, व्हे प्रोटीन को पीना आसान होता है। व्हे प्रोटीन में अक्सर, ग्लूटामाइन और बीसीएए भी मिलाकर कंपिनयां दे रही हैं।
व्हे प्रोटीन का स्वाद सत्तू के मुकाबले ज्यादा अच्छा होता है।
शेक बनाने के लिए लिहाज से देखें तो सत्तू अच्छा ऑप्शन नहीं है।
सत्तू में व्हे प्रोटीन के मुकाबले काफी कम कार्ब होता है।
व्हे प्रोटीन के मुकाबले सत्तू – खूबियां
सबसे पहली खूबी तो ये कि ये व्हे प्रोटीन के मुकाबले कहीं सस्ता होता है।
इसमें फाइबर और कार्ब होता है जो एक परफेक्ट डाइट बनता है गेनिंग करने वालों की
इसे पचाना आसान होता है, क्योंकि ये पहले से पका होता है।
व्हे प्रोटीन के साइड इफेक्ट्स होते हैं, मगर सत्तू के कोई साइड इफेक्ट नहीं होते
इसे पीने से पेट में गैस नहीं होती
मैं सत्तू लूं या व्हे प्रोटीन
सत्तू तो आपको लेना ही है, उसे आंख मूंद कर यूज करें। रही बात व्हे प्रोटीन कि। आपको उसकी जरूरत है तो यूज करें, किसने रोका है। मेरी बिगनर्स को हमेशा यही सलाह होती है कि पहले नेचुरल डाइट पर जहां तक खुद को ले जा सकते हैं ले जाएं उसके बाद सप्लीमेंट यूज करें। अगर आप नेचुरल डाइट पर खुद को नहीं बदल पा रहे तो कमी आपकी डाइट में है। पहले उसे ठीक करें।
याद रखें जब भी कोई बॉडी बिल्डर बीमार पड़ता है तो डॉक्टर उससे ये सवाल जरूर करता है कि तुम पाऊडर खाते हो या नहीं। अगर खाते तो बंद कर दो, वगैरह-वगैरह। मगर कोई डॉक्टर कभी आपके सत्तू खाने पर सवाल नहीं उठाएगा।
सत्तू पीने का स्वादिष्ट तरीका
सौ ग्राम सत्तू एक बार में पीने के लिए आप 300 से 350 एमएल पानी रख लें। काला नमक, नींबू और भुने जीरे का पाउडर। इसे मिलकार पिएंगे तो अच्छा स्वाद आएगा। पानी आप अपने हिसाब से कम या ज्यादा कर सकते हैं।
सत्तू कब पीना चाहिए
जब ठीक लगे तब पिएं। कसरत के बाद, कसरत से पहले जब चाहे। आप व्हे प्रोटीन नहीं यूज करना चाहते मत करें। सत्तू का इस्तेमाल करें। ये व्हे प्रोटीन जैसा काम नहीं करेगा, मगर आपको तगड़ा होने में बॉडी बनाने में मदद जरूर करेगा।
मैं लगभग पूरे साल सत्तू का इस्तेमाल करता हूं और आज से नहीं, तब से इस्तेमाल करता आ रहा हूं, जब व्हे प्रोटीन जैसी चीजों तक हमारी पहुंच भी नहीं थी। इसे पीने में किसी तरह की शर्म महसूस नहीं होनी चाहिए।
सवाल, इसमें तो कार्ब बहुत होता है
हां होता है। अब एक सवाल अपने आप से पूछिए। क्या हम चावल नहीं खाते, दाल नहीं खाते, पनीर नहीं खाते, आलू-शकरकंद सबमें तो कार्ब होता है। कार्ब के बिना आप बॉडी बनाने की कल्पना भी नहीं कर सकते। जो लोग दुबले-पतले होते हैं उन्हें प्रोटीन से ज्यादा कार्ब लोड करना होता है।
100 ग्राम सत्तू में कितना प्रोटीन होता है
आमतौर पर चने के सत्तू में 14 से 18 ग्राम तक प्रोटीन होता है। मैंने कुछ पैकेट ऑनलाइन चेक किए हैं, जो 22 ग्राम तक प्रोटीन लिख रहे हैं, मगर मैं ये नहीं मानता। भारत के काले चने में 14 से 18 ग्राम प्रोटीन होता है। उसी चने से सत्तू बनता है, छिलका हटाकर। सत्तू में करीब 65 ग्राम प्रोटीन और 12 ग्राम के आसपास फाइबर होता है।
आखिर में
सत्तू का इस्तेमाल जरूर करें। बस इसकी तुलना व्हे प्रोटीन से ना करें। ये आपको तगड़ा बनने, बॉडी बनाने में जरूर मदद करेगा। अगर गर्मियों में इसका इस्तेमाल कर रहे हैं तो थोड़ा जौ का सत्तू भी मिला लें। इससे इसे प चाना और आसान हो जाता है। मसलन आप दो किलो चने के सत्तू में ढाई सौ ग्राम जौ का सत्तू मिला लें।