बॉडी बनाने में यूज होने वाले टॉप सप्लीमेंट में आज भी क्रिएटिन (creatine) का नाम बरकरार है। मगर इस सप्लीमेंट को लेकर लोगों के मन में कई तरह के मिस कंसेप्शन हैं। अगर इसे बनाने वाली कंपनियों की सुनें तो ऐसा लगता है जैसे इससे बेहतर सप्लीमेंट तो कोई हो ही नहीं सकता।
क्रिएटिन हमारे मसल्स में जमा एक ऐसी चीज है जो एनर्जी पैदा करने में मदद करती है। इसे आप ईंधन की तरह मान सकते हैं। ये हर इंसान के मसल्स में नेचुरली पाया जाता है। हमें बॉडी बिल्डिंग में जरा ज्यादा खुराक की जरूरत होती है इसलिए हम इसे अलग से लेते हैं। इसके बारे में ज्यादातर लोगों के मन में कुछ इस तरह के सवाल आते हैं :
- क्रिएटिन क्या है
- क्यूं लें क्रिएटिन
- क्रिएटिन वर्कआउट से पहले लेने के फायदे
- वर्कआउट के बाद लेने के फायदे
- क्रिएटिन पीने का सही समय क्या है
क्रिएटिन क्या है
क्रिएटिन एक मॉलेक्यूल है जो हमारी मसल्स में बसा होता है। ये हमारी सेल्स के स्टोर में रखी एनर्जी को रिलीज करने में अहम रोल अदा करता है। इसके अलावा ये हमारी सेल्स में एनर्जी को दोबारा स्टोर करने में भी मदद करता है। हमारी लिवर और किडनी इसे खुद बनाती हैं। इसके अलावा ये हमें नॉन वेज डाइट से मिलता है। जब बॉडी में क्रिएटिन का लेवल गिरता है तो हमारी परफॉर्मेंस भी घट सकती है। कंपनियों ने इसी मॉलेक्यूल को पाउडर फॉर्म में बनाकर बाजार में उतार दिया है। ध्यान रहे ये नॉन वेज आइटम होता है।
क्यूं लें क्रिएटिन
इस बारे में की गई रिसर्च कहती हैं कि क्रिएटिन लेने से आपकी परफॉर्मेंस में सुधार आ सकता है। ध्यान रखें हम ये नहीं कह रहे कि इससे परफॉर्मेंस में यकीनन सुधार आ जाएगा। शब्दों पर जरूर गौर करें। ये जो सुधार आने की बात है ये भी हाई इंटेसिंटी वर्कआउट के बारे में है और हैवी वर्कआउट जैसे पावर लिफ्टिंग के बारे में है।
आमतौर पर क्रिएटिन मसल्स की सहन करने की कैपेसिटी बढ़ाता है। अगर आपको अपनी डाइट से रोज एक से दो ग्राम क्रिएटिन मिल जाता है तो इससे आपके मसल्स 60 से 80 फीसदी का सेचुरेशन लेवल हासिल कर लेते हैं। बस इसी 40 से 20 परसेंट के गैप को भरने के लिए लोग क्रिएटिन यूज करने की सलाह देते हैं। मगर सोचने वाली बात ये भी है 100 फीसदी तक जाए बिना भी आपका काम आराम से चल सकता है। क्योंकि अगर आपकी बॉडी आपको अपने मसल्स को सौ परसेंट सेचुरेट करने नहीं दे रही है तो उसके पीछे भी वजह होती है। ये बॉडी का अपना साइंस है।
क्रिएटिन के इस्तेमाल से हमें जो फायदे हो सकते हैं, उनमें से कुछ ये हैं :
- हमारी स्प्रिंट की स्पीड बढ़ जाती है, स्प्रिंट मतलब फर्राटा दौड़।
- जहां हम अपनी पूरी ताकत लगाकर काम करते हैं वहां हमारी परफॉर्मेंस सुधर सकती है।
- काम करने और सहने की ताकत बढ़ जाती है।
- ध्यान रखें, क्रिएटिन खुद मसल्स का साइज नहीं बढ़ाता। ये साइज बढ़ाने में मदद करता है।
इन खेलों में भाग लेने वालों को क्रिएटिन से फायदा हो सकता है :
– बॉडी बिल्डिंग, पावर लिफ्टिंग, साइकिलिंग, तैयारी, फर्राटा दौड़, बास्केट बॉल, हॉकी, रगमी, फुटबॉल, वॉलीबॉल, टेनिेस और जूड़ो-कराटे।
वर्कआउट से पहले क्रिएटिन
वर्कआउट से पहले क्रिएटिन पीने से हमारे मसल्स में जमा क्रिएटिन का लेवल बढ़ जाता है। जब स्टोर बढ़ जाता है तो हमारी बॉडी को खुद उसे रिलीज करने के मूड में आ जाती है। बॉडी में क्रिएटिन के स्टोर को बढ़ाने के लिए शुरू में 5 से 7 दिन लोडिंग डोज चलती है। इसमें 3 से 5 ग्राम क्रिएटिन दिन में चार बार यूज किया जाता है।
लोडिंग खत्म होने के बाद, दिनभर में 5 ग्राम में हमारा काम आसानी से चल सकता है। इस पांच ग्राम को आप दो बार में ले सकते हैं।
शाकाहारी लोग और जिनका बिल्ड काफी हैवी है उन्हें वर्कआउट से पहले अपनी बॉडी का स्टोर भरने की जरूरत होती है। इसलिए आमतौर पर ऐसे लोग वर्कआउट से पहले क्रिएटिन लेते हैं।
वर्कआउट के बाद क्रिएटिन
अक्सर ये कहा जाता है कि सिर्फ खानेपीने से मिलने वाला क्रिएटिन कई बार काफी नहीं होता है। ऐसा खासतौर पर वेजेटेरियन और हैवी वर्कआउट करने वाले लोगों के साथ होता है। इसलिए कई लोग वर्कआउट के बाद भी क्रिएटिन लेते हैं ताकि मसल्स के स्टोर में हुई कमी को पूरा किया जा सके। इससे मसल्स का रिकवरी रेट बढ़ जाता है और मसल्स अगने वर्कआउट के लिए खुद को तैयार कर लेते हैं।
क्रिएटिन से वर्कआउट के बाद बॉडी में ग्लाइकोजेन का लेवल भी बढ़ जाता है। हां इसके लिए ये जरूरी है कि आपकी डाइट भी उम्दा हो। ग्लाइकोजेन वो एनर्जी है जो हमारी बॉडी में जमा रहती है, ताकि जब हमें जरूरत हो इस्तेमाल हो सके। इससे हम देर से थकते हैं। क्रिएटिन की वजह से हमारे मसल्स में पानी बढ़ जाता है। ये साधाराण पानी नहीं होता है ये बॉडी फ्लूएड होता है, यानी इसमें पोषक तत्व भी होते हैं। यही वो वजह है जिसकी वजह से क्रएटिन लेने की वजह से मसल्स थोड़े फुले फूले लगते हैं। आपने अक्सर सुना होगा, क्रिएटिन बॉडी में पानी होल्ड करता है – ये सही है। ज्यादा पानी का मतलब कम इंजरी और तेज रिकवरी होता है।
क्रिएटिन लेने का सही समय
देखो भाई, ज्ञान विज्ञान की बातें तो होती रहेंगी। अब अपने सवाल का सीधा सा जवाब पा लें। जब मन करे, जब आपको ठीक लगे तब आप क्रिएटिन यूज कर सकते हैं। बिना इसके बारे में ज्यादा सोचे। हमारी बॉडी इतनी लाचार भी नहीं होती कि एक सप्लीमेंट के भरोस बैठी रहे।
इसलिए मैं फिर आपको कह रहा हूं। बहुत परेशान होने की जरूरत नहीं है कि मसल्स में जमा करूं या मसल्स में जमा क्रिएटिन को खर्च करूं वगैरा वगैरा। भाई क्रिएटिन लेना है तो लो बस बात खत्म। दिन में कभी भी लो, बॉडी उसे सही जगह पहुंचा देगी।
आपके काम तभी आएगा जब बॉडी को उसकी जरूरत होगी। जितनी जरूरत है उतना पहले से आपकी बॉडी को डाइट से मिल रहा है तो वो उसे बस बाहर निकाल देगी।
अगर आप वर्कआउट से पहले ले रहे हैं तो करीब 40 मिनट पहले पानी या जूस के साथ ले सकते हैं। वर्कआउट के तुरंत बाद आप इसे प्रोटीन के साथ पी सकते हैं।
ध्यान रखें
- अगर क्रिएटिन ले रहे हैं तो ढेर सारा पानी पिया करें, क्योंकि ये बॉडी में वाटर रिटेन करता है।
- 18 साल से कम उम्र के बच्चों और गर्भवती महिलाओं को ये नहीं लेना है।
- इसे पीने के बहुत गंभीर साइड इफेक्ट तो सामने नहीं आए हैं, मगर बुखार, सिरदर्द और थकान महसूस हो सकती है।
- ये किडनी और लिवर पर भी लोड डालता है। कुछ लोगों का पेट भी इसे पीने से चल जाता है।
क्रिएटिन कोई वरदान नहीं
क्रिएटिन कोई वरदान नहीं है। ये ऐसा सप्लीमेंट नहीं है, जिसके बिना आपका काम नहीं चलने वाला। सच कहूं तो जिम करने वाले एक आम शख्स को इसके बारे में ज्यादा सोचना ही नहीं चाहिए।
अगर आप मीट खाते हैं जो जरूरतभर का क्रिएटिन तो आपको वैसे ही मिल गया, जरूरत से ज्यादा क्रिएटिन देंगे बॉडी को तो वो उसे बाहर निकाल देगी।
हां शाकाहारियों को ये थोड़ा सहारा देता है, मगर मैं फिर यही बात कह रहा हूं कि ये कोई वरदान नहीं है। कंपिनयां तो विज्ञापन देंती ही हैं ताकि उनका प्रोडक्ट बिके। मगर आपको समझदारी से काम लेना होगा।