शोल्डर हमारी बॉडी का वही हिस्सा हैं जो बने होते हैं तो कंधे कहलाते हैं और नहीं बने होते तो हैंगर। इसलिए कायदा तो यही है कि हम उन्हें ठीक से बना-ठना कर रखें। इन्हें मजबूत बनाने का नियम तो वही है पुराना मगर खरा। कसरत और डाइट और कसरत भी सही ढंग से।
हमारे कंधे के तीन हिस्से होते हैं। फ्रंट शोल्डर, बैक शोल्डर और टॉप या अपर या मिडिल शोल्डर। जब भी हम कंधों का वर्कआउट करते हैं तो ये तय करते हैं कि तीनों पार्ट की कसरत हो, ताकि मसल्स का ओवरऑल डेवलपमेंट हो।
अच्छे शोल्डर बनाने वाली कसरतों की गिनती कम नहीं हैं, जैसे लाइंग वन आर्म लेटरल रेज (Lying One-Arm Lateral Raise), बारबेल शोल्डर प्रेस (Barbell shoulder front press) और बारबेल फ्रंट रेज (Barbell front raise). आज हम फ्रंट रेज के बारे में आज करेंगे। ये वो कसरत है, जिसमें फॉर्म मायने रखती है। इसमें फॉर्म बिगड़ी तो सारा वेट कमर पर चला जाएगा। आप मेहनत भी करेंगे और कोई फायदा भी नहीं होगा।
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कसरत का सही तरीका/ How to do this exercise
- इसकी फॉर्म देखने में तो बहुत आसान सी ही है। आप पैरों में नॉर्मल गैप रखकर खड़े हो जाएं। शोल्डर बारबेल या बाइसेप्स बारबेल में हल्का वेट लगाकर रखें।
- बारबेल को शोल्डर ग्रिप या यानी कंधों की चौड़ाई के बराबर की दूरी पर पकड़ें। ग्रिप ऐसी रहेगी जिसमें उंगलियां आपकी बॉडी की तरफ होंगी।
- कभी भी अपने हाथों कों नीचे रेस्ट न लेने दें। ज्यादातर लोग तब रेस्ट लेते हैं जब वेट नीचे आ जाता है। याद रखें आपके हाथों की टेंशन बराबर बने रहेगी।
- मेरे कहने का ये मतलब न निकालें कि आपको ताबड़तोड़ रैप निकालने हैं। कहने का मतलब ये है कि जब वेट नीचे आए तो कंधों को रिलैक्स न करें।
- सांस छोड़ते हुए बारबेल को ऊपर लाएं और ज्यादा से ज्यादा माथे की ऊंचाई तक लाएं। यहां हो सके तो जरा सा रुकें। वैसे ये टफ होता है मगर कोशिश करें।
- सांस भरते हुए बारबेल नीचे जाएं, यहां जरूर बात याद रखें। आपको अब पूरी बारबेल नीचे लाने की जरूरत नहीं है। जैसे ही वेट आपकी चेस्ट से नीचे आए आप वहीं से उसे वापस ले जा सकते हैं।
- कई लोग इस कसरत में एक गलतफहमी ये पालते हैं कि पूरी तरह से बारबेल नीचे आने के बाद ट्रैप्स को बाहर की ओर खींचते हैं। कृपया ध्यान रखें ये कसरत ट्रैप्स की नहीं है ये फ्रंट शोल्डर के लिए है।
- इस वर्कआउट में रैप मायने रखते हैं। कोशिश करें 15 के आसपास रैप निकालने की। कमर पर बेल्ट बांध लेंगे तो सहारा मिलेगी।
- बॉडी को पीछे की ओर कम से कम छुकाएं। मैं ये नहीं कर रहा कि रोबोट की तरह कसरत करें, मगर हां ऐसा भी नहीं है कि आपकी कमर धनुष बन जाए।
- आखिर के रैप निकालते वक्त बॉडी थोड़ी पीछे की ओर मुड़ती ही है, इतना चलेगा। ध्यान रखें ये वर्कआउट आपने सही ढंग से किया है इसकी पहचान यही है कि फ्रंट शोल्डर में आग लगनी चाहिए।
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समझें कसरत को/ understand this exercise
- किस तरह की कसरत है यह – यह शेप बनाती है
- इसमें कौन सा मसल खास तौर पर टारगेट होता है – शोल्डर
- किसकी मदद से की जाती है – एक बारबेल और वेट
- किस किस्म की कसरत है – यह आइसोलेट एक्सरसाइज है
- इसका लेवल क्या है – मिडिल लेवल
चार हिस्से मानें या तीन आपकी मर्जी
टेक्नीकली ट्रैप्स को शोल्डर का हिस्सा नहीं मानते, लेकिन कुछ लोग इसे शोल्डर के साथ ही गिनते हैं क्योंकि इसका वर्कआउट आमतौर पर कंधों के साथ ही होता है। तो अगर ट्रैप्स को भी इसका हिस्सा मान लें तो कंधे के कुल चार हिस्से हो जाते हैं – 1 Trapezius 2 MEDIAL of SIDE DELTS 3 POSTERIOR or REAR DELTS 4 ANTERIOR or FRONT DELTS और चारों की अलग-अलग एक्सरसाइज होती हैं।
Bottom line
बारबेल फ्रंट शोल्डर कंधों की बेहतरीन एक्सरसाइज है, मगर इसकें वेट से ज्यादा फॉर्म पर फोकस करना चाहिए। इसे आप एकदम आखिर में लगाएंगे तो काफी टफ होगी। इसे दूसरे या तीसरे नंबर पर कर सकते हैं। इस वर्कआउट में कुछ लोगों की कलाई में दर्द हो जाता है। इसलिए आप चाहें तो कलाई का बैंड बांधकर इसे करें।
Sir ji DEADLIFT par ek lekh likhien
लिखा है – https://bodylab.in/2015/05/14/how-to-do-deadlifts-properly/