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टायफायड के लक्षण और उसमें खानपान

टायफायड (Typhoid) एक किस्म का बुखार है जो अक्सर मार्च-अप्रैल के समय होता है। इसकी प्रमुख वजह गंदगी है। इसे बैक्टीरियन इंफेक्शन कहते हैं। आमतौर पर यह रोग बच्चों और युवाओं को अपना शिकार बनाता है। इसमें बुखार कभी बहुत तेज तो कभी थोड़ा कम होता है। ये बुखार लगभग 1 हफ्ते तक चलता है। फिर धीरे धीरे ठीक हो जाता है। इसमें रोगी को बहुत कमजोरी महसूस होती है।

इसको कुछ और नामो से भी जाना जाता है जैसे मियादी बुखार, मोतीझरा, मंथर बुखार। इसमें बुखार 105 डिग्री तक भी पहुंच जाता है। अगर समय पर उपचार न किया जाए और बुखार को काबू न किया जाए तो यह जानलेवा भी साबित हो जाता है। इस बीमारी के बारे में लोग इंटरनेट पर अक्सर इन सवालों के जवाब खोजते हैं –

  • टायफायड के लक्षण क्या हैं
  • टायफायड में क्या खाएं
  • बचने के उपाय

इस बीमारी की मुख्य वजह अस्वच्छ खानपान है। अगर सही समय पर इलाज शुरू कर दिया जाए तो रोगी कुछ ही दिनों में पूरी तरह से ठीक हो जाता है। लक्षणों के अलावा आमतौर पर लैब टेस्ट के जरिए हम इस बात की पुष्टि करते हैं कि रोगी को टायफायड हुआ है।

डॉक्टर विजय प्रकाश जैन, एम वी मेडिकल सेंटर, दिल्ली

टायफायड के लक्षण/ Symptoms of typhoid

1. हल्की सी हरारत, शरीर में दर्द, तबीयत गिरा हुआ होना।
2. पेट में मीठा सा दर्द या भारीपन लगता है।
3. कभी- कभी सिर में दर्द की शिकायत भी सामने आती है।
4. रोगी का खुद को कमजोर और सुस्त महसूस करना।
5. जीभ मैली सफेद होना भी इसका एक लक्षण है।
6. कभी- कभी छाती और पेट पर मोती जैसे छोटे छोटे दाने निकल जाते हैं।
7. इस रोग में कभी-कभी दस्त होना या दस्त में खून आना, पेट का अधिक फूलना, बुखार का एकदम उतर जाना- ये खराब लक्षण माना जाता है।

बचने के उपाय / Escape measures

1. मक्खियों से भोजन की रक्षा करनी चाहिए।
2. दूध को कच्चा नहीं पीना चाहिए।
3. खाने पीने वाली चीजों को धो करके खाना चाहिए, बाजार और सड़कों पर बेचने वाले सामानो को बिल्कुल नही खाना चाहिए।
4. आइसक्रीम बिल्कुल नही खाना चाहिए।
5. जिस घर में लोगों को ये बुखार हो वहां का पानी और खाना खाने से बचना चाहिए।

क्या खाएं और क्या न खाएं / What to eat and what not to eat

1 रोगी को शुरुआत में करीब तीन दिन तक ठोस आहार कतई न दें। उन्हें केवल लिक्विड डाइट पर रखें। जैसे नारियल का पानी, दाल का पानी, मौसम का जूस, वेज सूप, नींबू पानी।

2 रोगी को ढेर सारा लिक्विड देते रहना चाहिए। शरीर में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए। आप नींबू, नमक पानी या फिर इलेक्ट्रॉल भी लगातार देते रहें।

3 रोगी को कम से कम भोजन करना चाहिए।

4 चौथे दिन से या फिर जब बुखार उतर जाए तभी ठोस आहार शुरू करना चाहिए। ठोस आहार भी ज्यादा भारी न हो। इसमें दलिया, ओट्स, दाल, खिचड़ी, सूजी का हलवा, पोहा, दही जैसी चीजें रख सकते हैं।

5 सभी प्रकार के मौसमी फल दे सकते हैं। फलों में पपीता और चीकू जरूर दें।

6 एक लोटा पानी में 4 लौंग डालकर उबाल लें, और रोगी को दिन भर यही पानी पीने को दें।

7 रात को एक गिलास पानी में एक अंजीर और तीन से चार मुनक्के भिगो दें। सुबह उठकर रोगी को इसका पानी पिलाएं और अंजीर व मुनक्का खिला दें। मुनक्का के बीज न खाएं। इसे आप दिन में दो बार कर सकते हैं।

रोगी के लिए हिदायत/ Instruction to the patient

1. रोगी को एक अलग कमरे में रखना चाहिए जिसमें साफ हवा और रोशनी हो।
2. रोगी के कपड़ों को पानी में उबाल कर साफ करना चाहिए।
3. रोगी को पूरा आराम करना चाहिए।
4. रोगी के बाल कटवा देने चाहिए।
5. बुखार अधिक होने पर नमक के पानी की पट्‌टी करनी चाहिए।
6. दांत, मसूड़े, जीभ आदि की सफाई रोज करनी चाहिए।
Bottom Line

टायफायड के बाद रोगी को कुछ दिन और आराम करने देना चाहिए क्योंकि इसके बाद शरीर बहुत कमजोर हो जाता है। रोगी को खान पान में और अधिक विटामिन से भरपूर चीजें खिलाना चाहिए। रोगी को साफ- सफाई का अधिक ध्यान देना चाहिए।
Disclaimer : यह लेख केवल आपको जागरूक करने के लिए लिखा गया है। हम इलाज करने का तरीका नहीं बताते। कोई भी फैसला चिकित्सीय परामर्श लेकर ही करें।

 

 

 

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