15 नवंबर तक का टाइम शरद ऋतु में आता है। बारिश के मौसम के बाद आसमान साफ हो जाता है और सूरज व चांद दोनों की किरणें पहले के मुकाबले ज्यादा तेज के साथ धरती पर पड़ती हैं। बरसात के मौसम में हमारी बॉडी में पित्त इकट्ठा हो जाता है, जो अब सूरज की तेल किरणों की वजह से पिघलता है। यही वजह है कि इस मौसम में हमें बुखार, स्किन के रोग, फोड़े और फुंसी होती है। इस मौसम की एक खासियत भी होती है। यही वो वक्त है जब हमें हंसोदक या अंशदूक जल पीने को मिलता है।
क्या है हंसोदक या अंशदूक जल
आयुर्वेद चिकित्सा के मुताबिक, इस पानी को अमृत के समान गुणों वाला माना जाता है। कहा जाता है कि दिन मे समय सूरज की किरणों और रात के वक्त चंद्रमा की चांदनी में रखा हुआ पानी, अगस्त्य तारे के प्रभाव से गुणवान हो जाता है। इसलिए अगर मुमकिन हो तो इस तरह का पानी जरूर पिएं। इसमें कुछ खास मेहनत तो करनी नही है। रात को एक बर्तन में पानी भरकर उसे ऐसी जगह रख दें जहां से उस पर चांद की रोशनी पड़े। बर्तन को किसी महीन कपड़े से ढक दें ताकि उसमें रोशनी तो जाए मगर गंदगी नहीं। सुबह उठकर इस पानी को पी लें। ऐसा ही आप सुबह के वक्त भी कर सकते हैं। जब सूरज निकले तो पानी रखें दें और दोपहर या शाम के वक्त उसे पी लें। यह पानी बॉडी के टॉक्सिक लेवल को कम करता है या यूं भी कह सकते हैं कि खून साफ करता है।