माइग्रेन वो सिर दर्द है, जो हिलाकर रख देता है। इस दर्द से पैदा हुई तकलीफ को दो ही लोग सबसे ज्यादा झेलते हैं एक वो शख्स जिसे माइग्रेन हुआ हो और दूसरा उसकी मां। कई बार लोगों को ये पता ही नहीं होता कि उनके सिर में जो बार बार तेज दर्द उभरता है वो दरअसल है क्या। लोग इसे गैस, टेंशन या थकावट से पैदा हुआ दर्द मानकर छुटपुट इलाज करते रहते हैं और इतने समय में यह एक बीमारी की शक्ल ले लेता है। माइग्रेन में आमतौर पर रोगी के सिर के आधे हिस्से में तेज दर्द होता है। इसे हम लोग आधकपारी भी कहते हैं। कभी कभी दर्द इतना तेज होता है रोगी को उल्टी तक हो जाती है।
वैसे तो रोगी बिल्कुल ठीक रहता है मगर जब इसका अटैक होता है तो उसकी हालत बहुत बिगड़ जाती है। एक अटैक से दूसरे अटैक के बीच भी रोगी खुद को हेल्दी महसूस करता है, मगर सिर में थोड़ा भारीपन और नाक में रुकावट तब भी महसूस होती रहती है। आयुर्वेद की भाषा में यह रोग अनंतवात कहलाता है, यानी ऐसा दर्द जो रुक ही न रहा हो। आमतौर पर देखा गया है कि जिन लोगों को माइग्रेन होता है उन लोगों को साइनोसाइटिस की दिक्कत भी होती है। आमतौर पर माइग्रेन टेंशन की वजह से होता है।
इसी से मिलता-जुलता एक अन्य प्रकार का सिरदर्द है, जो सूर्यावत के नाम से जाना जाता है। इसमें जैसे-जैसे सूर्य आकाश में चढ़ता जाता है, वैसे-वैसे दर्द भी बढ़ता जाता है और जैसे- जैसे सूर्य अस्त होने के लिए नीचे की ओर आता है, वैसे- वैसे दर्द भी घटता जाता है। दवाओं की आपके पास कमी नहीं है, मगर कई रोगों में घरेलू उपचार काफी कारगर साबित होते हैं। यहां हम आपको माइग्रेन को दर्द को दूर करने और उससे बचे रहने के कुछ घरेलू तरीके बता रहे हैं।
अगर दर्द के चलते रोगी का जी मिचलाने लगे तो उसे उल्टी करा देना ठीक रहता है, क्योकि अपच के कारण इस दर्द का जोर बढ़ जाता है और उल्टी कर देने से अपच कम हो जाती है। इससे सिरदर्द में भी रोगी को आराम मिलता है। यदि रोगी का मन न भी मिचल रहा हो या उल्टी न आ रही हो तो भी उसे 5-6 गिलास पानी पिलाकर उल्टी करवा देनी चाहिए। एक गिलास पानी में 1/2 चम्मच नमक मिलाना चाहिए। यदि यह पानी गुनगुना कर लिया जाए तो और भी अच्छा है। जितना अधिक पानी पिया जा सके पियें और उसके बाद रोगी को अपनी अंगुली गले के अन्दर डालकर उल्टी करनी चाहिए।
माइग्रेन का घरेलू उपचार
- दही, चावल और मिश्री मिलाकर खाने सूरज निकलने से पहले खा लेने से उस सिरदर्द में आराम मिलता है जो सूरज के साथ बढ़ता और घटता है। वैसे भी दिन में दही, चावल खाने से इस रोग से राहत मिलती है।
- गाय के शुद्ध घी की दो चार बूंदें सुबह शाम नाक में डालने से आराम मिलता है। ध्यान रखें घी ताजा हो।
- माइग्रेन में अणु तैल नामक औषधि बहुत लाभकारी है। यह औषधीय तेल तिल के तेल और बकरी के दूध के साथ 26 औषधियों वनस्पतियों को पकाकर तैयार किया जाता है। इस तेल की 10-20 बूंदें नाक में डालकर जोर से खींचना चाहिए। इस तेल के प्रयोग से किसी प्रकार का कोई विषैला प्रभाव नहीं पड़ता।
- सूरज उगने से पहले नारियल और गुड़ के साथ छोटे चने के बराबर कपूर मिलाकर तीन दिन तक खायें। इससे माइग्रेन का दर्द चला जायेगा।
- लौंग के चार पांच दाने पीसकर उसे तवे पर हल्का सा गर्म करें और उसे सिर पर लगा लें। इससे दर्द से राहत मिलती है। लौंग की जगह बड़ी इलाइची का छिलका पीसकर उसे हल्का गर्म करके भी सिर पर लगा सकते हैं।
- केसर की कुछ पत्तियां, थोड़े से घी में डालकर उसे पत्थर पर पीसें और सूंघें।
- नींबू को छिलके समेत पीसकर उसका पेस्ट बना लें और सिर पर लगायें। इससे बड़ी राहत मिलती है।
- माइग्रेन का इलाज करने में गाजर और पालक का जूस बहुत कारगर साबित हुआ है। 200 एमएल पालक का जूस और 300 एमएल गाजर का जूस मिलाकर पियें। आप चुकंदर और खीरे का जूस भी पी सकते हैं। आप 300 एमएल गाजर के जूस में 100 एमल चुकंदर और 100 एमएल खीरे का जूस मिलाकर भी पी सकते हैं।
- कोशिश करें इस बात का पता लगाने की कि ऐसा कौन सा मौका होता है जब दर्द होना शुरू होता है। माइग्रेन का दर्द कई वजहों से शुरू होता है जैसे गुस्सा, तेज लाइट या तेज म्यूजिक या कोई भी ऐसी बात जो दर्द का ट्रिगर बनता है, उसकी पहचान करें और उससे बचे रहने की योजना पर काम करें।
अंगूर का जूस माइग्रेन में बड़ी राहत देता है
माइग्रेन से लड़ने में अंगूर का जूस बड़ा काम करता है। इसके पीछे एक कहानी भी है। कहते हैं कि परशिया के राजा किंग जमशेद को अंगूरों का बहुत शौक था। उन्हें एक बार अंगूर का ढेर सारा जूस बनवाया और उन्हें बोतलों में भरवाकर रख दिया। उन्हें सारे में ये बात फैला दी कि इन बोतलों में कोई जहरीली चीज है। इधर उनकी बीवी भयंकर सिरदर्द का रोग झेल रही थीं, मगर किसी चीज से उन्हें राहत नहीं मिल पा रही थी। सिरदर्द की लंबी बीमारी से परेशान उन्होंने खुद का जीवन खत्म करने की ठानी और जहर समझकर अंगूर का जूस पी लिया। जाहिर से बात है उनकी मौत तो हुई बल्कि दर्द से राहत मिलने लगी तो उन्होंने कई बार बोतलों में भरा जूस पिया। इससे बहुत बहुत आराम पड़ा, तब राजा ने उन्हें बताया कि यह जहर नहीं बल्कि अंगूर का जूस है।
कैसा हो खानपान
माइग्रेन से पीड़ित रोगी के लिए गाय का दूध और घी बहुत अधिक उपयोगी हैं। दही और दूसरी खट्टी चीजों का सेवन रोगी को नही करना चाहिए। तला हुआ एवं मसालेदार भोजन इस रोग में बहुत नुकसान पहुंचाते हैं।
माइग्रेन के रोगी को इस विषय में खूब सावधानी रखनी चाहिए कि वह अपच, कब्ज, मानसिक चिंताओं और परेशानियों से बचा रहे। उसे अधिक गरमी, धूप, सर्दी और बरसात से बचकर रहना चाहिए। रात में उसे जल्दी ही सो जाना चाहिए। रात के समय जागते रहना उसके लिए हानिकारक है।