आजकल हर तरफ डेंगू का हल्ला है। तमाम एहतियात बरतने के बावजूद आप देख रहे होंगे कि बड़ी गिनती में लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं। महज एक मच्छर के काटने से डेंगू हो जाता है और यह बिगड़ जाए या समय रहते इलाज न किया जाये तो इससे मौत तक हो जाती है। हर साल डेंगू से मौतें होने की खबरें आती हैं। डेंगू से बचाव ही इसका सबसे बड़ा इलाज है। डेंगू से बचने के लिए आपको दो काम करने हैं एक तो मच्छरों से खुद को बचाना है और दूसरी बात अगर किसी वजह से डेंगू हो जाता है तो उसे समय रहते पहचान कर इलाज करना है।
कैसे होता है डेंगू
डेंगू मादा एडीज मच्छर के काटने से होता है। डेंगू के वायरस चार किस्म के होते हैं। अगर किसी इंसान को डेंगू है और उसे कोई मच्छर काट ले तो उस मच्छर के अंदर भी डेंगू का वायरस चला जाता है। ऐसे में जब वो मच्छर किसी और शख्स को काटता है तो डेंगू का वायरस उस शख्स के भीतर चला जाता है। इस तरह से डेंगू का वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान में पहुंच जाता है।
हमने आपको बताया कि डेंगू के वायरस चार तरह के होते हैं। किसी भी एक तरह के वायरस से आपको डेंगू हो सकता है। जिस वायरस के चलते किसी इंसान को डेंगू होता है उसका इलाज हो जाने पर उस वायरस से दोबारा डेंगू होने की पॉसीबिलिटी कम हो जाती है क्योंकि बॉडी में उससे लड़ने की ताकत पैदा हो जाती है हां दूसरे किस्म के वायरस का हमला होने पर आपको फिर डेंगू हो सकता है। अगर किसी को दोबार डेंगू हो जाये तो यह पहले वाले से ज्यादा खतरनाक हो सकता है।
डेंगू के लक्षण
डेंगू में बहुत तेज बुखार होता है। ठंड लगती है। सिरदर्द और बदन दर्द होता है। इसमें शरीर के जोड़ों में भी दर्द होता है। भूख कम लगती है और उल्टी जैसा मन होता है। वायरस का अटैक बढ़ जाता है तो बॉडी पर लाल रंग के चकत्ते भी उभर जाते हैं।
डेंगू का इलाज क्या है
डेंगू के वायरस से लड़ने के लिए अभी तक कोई दवा नहीं बनी है। इसमें साधारण पैरासिटामोल दी जाती है। ध्यान रखें एस्प्रिन और ब्रूफेन का इस्तेमाल कतई न करें। हमारी बॉडी में डेंगू के वायरस से लड़ने की ताकत होती है बस हमें उसे सहारा देना होता है।
डेंगू हुआ है तो रोगी की प्लेटलेट जरूर चेक करायें और उस पर नजर बनायें रखें।
सामान्य तौर पर प्लेटलेट की गिनती डेढ़ लाख से चार लाख के बीच होती है। जिस व्यक्ति को डेंगू हो जाता है उसमें इनकी गिनती बहुत तेजी से गिरने लगती है। इसके चलते हमारा खून इतना पतला हो जाता है कि वो कहीं से भी बहने लग सकता है। यही डेंगू से मौत का कारण बनता है।
आमतौर पर 50 हजार तक प्लेटलेट की गिनती आने तक रोगी को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं होती। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, अगर किसी इंसान की प्लेटलेट काउंट 20 हजार आ जाये तो उसे प्लेटलेट चढ़ाना बेहद जरूरी हो जाता है।
प्लेटलेट बहुत तेजी से बढ़ जाती हैं। प्लेटलेट बढ़ाने के तरीके नीचे दिये हुए हैं।
अगर आप थोड़ी सी समझदारी दिखायें तो घर पर ही मरीज को ठीक कर सकते हैं। उसके अस्पताल जाने तक की नौबत नहीं आयेगी। बस जरूरी है कि आप डेंगू के लक्षणों को तुरंत पहचानें और उनका इलाज शुरू कर दें।
डेंगू का देसी इलाज
- रोगी को दिनभर ढेर सारा लिक्विड दें। उसे नींबू पानी, संतरे या मौसमी का जूस, ग्लूकोज देने में बिल्कुल कोताही न बरतें। नारियल पानी भी खूब पिलायें। यही डंगू से लड़ने का सबसे अच्छा तरीका है। ऐसा करते रहेंगे तो रोगी की प्लेटलेट नहीं गिरेंगी।
इसके अलावा गिलोय का काढ़ा भी पिला सकते हैं। - गिलोए की बेल का तकरबीन छह इंच का एक टुकड़ा लें जो न तो ज्यादा पतला हो और न ही ज्यादा मोटा। उसके छोटे छोटे टुकड़े कर लें और करीब दो गिलास पानी में तब तक उबालें जब तक पानी आधा न रहे जाये। जब पानी ठंडा हो जाए तो मरीज को दो से तीन बार में पिला दें। इससे प्लेटलेट बढ़ने लगते हैं।
- अगर आपके पास पपीते के पत्ते हैं तो उनका रस भी पिला सकते हैं। पपीते के पत्तों को बारीक काट कर उसे ओखली या सिल बट्टे पर पीस लें। फिर उसे सूती कपड़े में बांधकर निचोड़ें इससे पत्तों का रस निकल आएगा। दो चम्मच भी निकला तो ठीक है। थोड़ा सा मिनरल वाटर डालकर आप मशीन में भी उसे ब्लेंड कर सकते हैं। अगर पूरी तरह से ब्लेंड हो गया है तो फिर उसे छान लें। तरीके बहुत हैं थोड़ा दिमाग लगायेंगे तो समझ आ जायेगा कि पपीते का पत्ते का रस कैसे निकलेगा।
कुल मिलाकर कहा जाये तो डेंगू है तो जानलेवा मगर केवल तब जब आप उसे पहचान न पायें या हल्के में लें। ध्यान रखें डेंगू में कोई ऐसी दवा न दें जिसमें एस्प्रिन या ब्रूफेन हो। नींबू पानी, नारियल पानी, जूस वगैरा खूब पिलायें।