हम अपनी जिंदगी का एक तिहाई हिस्सा बेड पर बिताते हैं। आमतौर पर हर रोज आठ घंटे। आपको पता है आपके बिस्तर व चादर में क्या क्या होता है। फंगी, बैक्टीरया, मरे हुए छोटे छोटे जीव, धूल, पसीना, पेशाब के अंश, स्किन सेल्स, लार, खाने पीने की चीजों के महीन टुकड़े, जिस चीज से चादर बनती है उसके रेशे, क्रीम, तेल और ना जाने क्या क्या।
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के माइक्रोबायोलॉजिस्ट व पैथोलॉजिस्ट फिलिप टेरनो कहते हैं, इसके अलावा भी हमारी बेडशीट में बहुत कुछ ऐसा होता है जो छोटे छोटे जीवों को पैदा करने के लिए बिल्कुल वाजिब माहौल पैदा करते हैं।
आपको लगता है कि आप तो खुद को बहुत साफ सुथरा रखते हैं मगर ऐसा नहीं है। बहुत सी ऐसी जगह हैं जो आपकी हेल्थ पर बुरा असर डालती हैं और आपको पता भी नहीं चलता। आप बिस्तर से उठते हैं और आपको एलर्जी हो जाती है या आपको जुकाम हो जाता है। आप मौसम को दोष दे रहे होतें हैं मगर उसका कारण कई बार आपका बिस्तर ही होता है।
एक शख्स आमतौर पर एक साल में करीब 99 लीटर पसीना बिस्तर में छोड़ता है। हमारा पसीना गंदगी के साथ चादर में समा जाता है। गंदगी और नमी वाला माहौल फंगस को पैदा करने के लिए माकूल माहौल देता है। धूल, फंगस और बैक्टीरिया आपको बीमार बनाने के लिए काफी होते हैं। इनसे अस्थमा भी बढ़ सकता है।
सन 2015 में हुई एक स्टडी के मुताबिक डेढ़ साल से लेकर 20 साल तक पुराने तकिए में 4 से लेकर 17 किस्म के फंगस हो सकते हैं।
फिलिप कहते हैं, आपको पता है रोम कैसे नीचे दब या और उसे ढूंढने के लिए हमें खुदाई करनी पड़ी। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि गुरुत्वाकर्षण उर्फ ग्रेविटी ने धूल को धीरे धीरे उस पर बैठाया। यही चीज चादर के साथ भी होती है गंदगी धीरे धीरे उसपर बैठती है।
तो हमें फिर कितने दिनों बाद बेडशीट को धोना चाहिए ? फिलिप कहते हैं कि आप एक या दो सप्ताह में चादर धो सकते हैं। अपनी सहूलियत या याद रखने के लिहाज से इतना समझ लें कि हफ्ते में एक बार चादर धुल जाए तो बेहतर रहेगा।
स्रोत – साइंस अलर्ट डॉट कॉम