छह महीने बाद इन वालंटियर को हल्के डेंगू वायरस का इंजेक्शन लगाया गया। जिन 21 लोगों को डेंगू से बचाव का इंजेक्शन लगाया गया था उन्हें कुछ भी नहीं हुआ। जबकि बाकी 20 लोगों के खून में वारयरस पाया गया और कुछ की बॉडी पर रैशेस भी हो गए।
ऐसा पहली बार किया गया है कि ट्रायल के लिए लोगों के शरीर में सचमुच वायरस छोड़ा गया। आमतौर पर आजकल इस तरह से ट्रायल नहीं किया जाता। मगर सच बात ये है कि वैज्ञानिक करीब पिछले 100 साल से डेंगू का इंजेक्शन बनाने में लगे हुए हैं। इसलिए इस टीम ने थोड़ा आगे जाकर रिसर्च करने की ठानी। हालांकि बचाव की हर तैयारी के साथ परीक्षण किया गया।
इन वालंटियरों को यह बता दिया गया था कि आपको इन्फेक्शन होने के 50/50 चांस हैं।
आखिरकार जोखिम उठाना काम आया। छोटे ट्रायल के नतीजे इतने सही रहे कि तीसरे चरण का ट्रायल ब्राजील में 22 फरवरी को शुरू कर दिया गया है। इसमें 17 हजार लोगों को शामिल किया गया है। जिनमें बच्चे, किशोर और बड़े सब शामिल हैं। यह ट्रायल 2018 में खत्म हो जाएगा तो हम तब किसी अच्छे नतीजे की उम्मीद कर सकते हैं।
हालांकि शोधकर्ता सीधे सीधे वायरस से टक्कर ले चुके हैं इसलिए उन्हें पूरा भरोसा है कि डेंगू का टीका बन जाएगा। यह रिसर्च साइंट ट्रांसलेशन मेडिसिन में छपी है।
स्रोत – साइंस अलर्ट