जानलेवा स्वाइन फ्लू सांस के तंत्र से जुड़ी बीमारी है। यह एच1 एन1 वायरस के चलते होता है। इसके शुरुआती लक्षण वैसे ही होते हैं जैसे आम फ्लू के होते हैं इसलिए आमतौर पर शुरू में लोग इसे जुकाम ही समझते हैं। इसमें लगातार नाक बहती है और झींक आती है। सिर में तेज दर्द होता है, बुखार होता है और गले में खराश होने लगती है। इसके अलावा बॉडी में दर्द होता है और थकान महसूस होती है। सामान्य जुकाम व स्वाइन फ्लू में सबसे बड़ा फर्क ये होता है कि इसमें जुकाम काफी तेज होता है। कहा जाता है कि अगर किसी को स्वाइन फ्लू हो गया है तो 48 घंटे के भीतर उसका इलाज शुरू हो जाना चाहिए। आमतौर पर पांच दिन तक दवा चलती है। इसमें मरीज को टेमीफ्लू की दवा दी जाती है। स्वाइन फ्लू की रोकथाम के आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक, यूनानी, सिद्ध और योग में जो तरीके हैं आज हम आपको उनके बारे में बता रहे हैं।
स्वाइन फ्लू से बचाव के आयुर्वेदिक उपाय
- दही, शीतल भोजन, शीतल पेय, फलों के रस, खमीरयुक्त भोजन तथा आइसक्रीम जैसी चीजों से परहेज करें और हल्का गर्म पानी पिएं
- तुलसी, अदरक, काली मिर्च, हल्दी, गिलोय से बना हुआ क्वाथ 20 से 30 मिलीलीटर सुबह शाम सेवन करें।
- आयुर्वेदिक औषधियां तथा सुदर्शनघन वटी, सुदर्शन चूर्ण, संशमनी वटी (गुडूची वटी) खासतौर पर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करती हैं।
- सूखी खांसी के लिए सितोपलादि चूर्ण तथा कफयुक्त खांसी के लिए तालीसादि चूर्ण आधा छोटा चम्मच शहद के साथ सुबह शाम तीन से पांच दिन तक लें।
- बुखार के लिए नारदीय लक्ष्मीविलास रस 1 गोली (250 ग्राम)।
स्वाइन फ्लू की रोकथाम का होम्योपैथी में उपाय
- विशेषज्ञों के मुताबिक, फ्लू होने पर अर्सेनिक 30 लें। व्यस्क 4 गोलियां (आकार 30) प्रतिदिन खाली पेट 3 दिन तक सेवन करें।
- फ्लू से बचाव के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा बताए गए सामान्य स्वच्छता उपायों का भी अनुपालन करें।
स्वाइन फ्लू की रोकथाम के यूनानी उपाय
- घर में नीम और तुलसी के ताजा पत्ते रखें।
- काफूर या लोबान से घर में धूपन करें।
- रुमाल में काफूर रखकर थोड़ी थोड़ी देर में उसकी गंध का सेवन करें।
- हब-ए-इकसीर बुखार : 2 गोलियां हल्के गर्म पानी के साथ दिन में 2 बार लें।
- शर्बत-ए-नजला : 10 मिली शर्बत में 100 मिलीलीटर हल्का गर्म पानी मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करें।
- कुर्स-ए-सुआल – 2 गोलियां दिन में 2 बार चूसने के लिए।
- रोगन बनफ्शा (वाजिब मात्रा में) : दिन में 2 से 3 बार नासारंध्र में लगाएं।
- यूनानी चिकित्सकों के लिए दिशा निर्देश www.ccrum.net पर उपलब्ध हैं।
सिद्ध में स्वाइन फ्लू की रोकथाम संबंधी उपाय
- पर्यावरण शुद्धी के लिए कंडनकषीरी, कंगीलियम, वेम्बु से धूपन (पुगई पोडूयल)
- रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए प्रतिरक्षा-वर्धकों (इयरकई वनमई कोट्टल) जैसे चूर्णम, थिरीबला चूर्णम् आदि का प्रयोग करें।
- औषध युक्त धम्रपान (पुगई-पीडिथल) : उमेथलाई, मिलागु पुगई
- भाप लेने के लिए नोची, अधाटोडाई, मंजल का प्रयोग करें।
सिद्ध में स्वाइन फ्लू का इलाज
- ब्रह्रमानंद भैरवम टेबलेट (1 गोली अदरक के रस में शहद मिलाकर प्रतिदिन दो बार)
- नीलावेम्बू कुडीनीर (30 से 60 मिलीलीटर रोज ददो बार)
- अमुक्करा चूर्णम आधा से 1 ग्राम शहद के साथ रोज तीन बार
- गौरी चिंतामणी चेन्दुरम 65 से 130 मिलीग्राम शहद के साथ दिन में 3 बार
- पवाझा पर्पम् (100 से 200) मिलीग्राम जल अथवा दूध से दिन में 2 बार।
बाहरी इस्तेमाल के लिए तेल
– सिवाप्पु कुक्कील तैलम
– काफूरथी तैलम
योग एवं प्राक्रतिक चिकित्सा द्वारा स्वाइन फ्लू का उपचार
रोकथाम संबंधी उपाय – नमक के पानी से गरारे करना। जलनेती, कपालभाति।
सह उपचार – नाड़ी शोधन, उष्ण पाद स्नान (हॉट फुट बाथ), कोल्ड स्पंज बाथ एवं एनिमा।
नोट – गंभीर लक्षण होने पर किसी प्रिशिक्षित डॉक्टर या फिर अस्पताल में संपर्क करें।
स्रोत – केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, केंद्रीय योग एवं प्राक्रतिक चिकित्सा अनुसंधान परिषद, केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान परिषद, केंद्रीय सिद्ध अनुसंधान परिषद, केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद