सिंगल रैप टेस्ट का मतलब सीधे सीधे ये होता है कि किसी भी कसरत में आप अपनी पूरी ताकत लगाकर कितने वेट को एक बार पुश या पुल या लिफ्ट कर सकते हैं। इसमें बस एक बार वेट उठाना होता है, इसलिए इसे सिंगल रैप टेस्ट कहते हैं। यह बड़े काम का होता है। इससे आपको अपनी कुव्वत पता चलती है और तरक्की भी। इससे पावर बढ़ती और इसकी बदौलत आप ये कैलकुलेट कर सकते हैं कि सामान्य एक्सरसाइज में कितना वेट लगाना है। हम जितना सिंगल रैप में उठाते हैं उसका 75 फीसदी वेट आमतौर पर नॉर्मल एक्सरसाइज में उठाया जाता है। इसलिए यह जरूरी है कि आपको अपने सिंगल रैप की ताकत और सीमाओं का अंदाजा हो।
खुद को टेस्ट करने से पहले यह तैयारी जरूरी है
सबसे पहले हल्की स्ट्रेचिंग करें – स्ट्रेचिंग के जो भी मूव आपको पता हों उन्हें करें। उनके अलावा फ्री स्क्वेट्स, गुड मॉर्निंग और फ्री डेड लिफ्ट जरूर करें। ध्यान रखें किसी भी पार्ट को बहुत ज्यादा स्ट्रेच नहीं करना है। ज्यादा स्ट्रेच करेंगे तो मसल्स रिलैक्स मोड में चले जाएंगे। हल्की स्ट्रेचिंग करें। आप चाहें तो हल्की फुल्की कार्डियो भी कर सकते हैं। इससे पूरी बॉडी में करंट का सर्किल क्रिएट होता है। यहां भी इस बात ध्यान रखें कि कार्डियो हल्की ही करनी है। अगर इन सबमें आप ज्यादा एनर्जी लगा देंगे तो आपका वन रैप टेस्ट कमजोर पड़ जायेगा।
वार्म अप सेट लगाएं – मान लें कि आप बेंच प्रेस में खुद को टेस्ट करना चाहते हैं तो पहले अच्छे ढंग से खुद को वार्म अप करें। इसके लिए आप चेस्ट के छह सेट लगाएं। रैप की गिनती 8, 6, 4, 2, 1, 1 रहे। जितना मैक्सिमम वेट आप चेस्ट में लगा लेते हैं उसका 30 फीसदी ही लगाएं और 8 रैप निकालें, फिर 40 फीसदी से 6, 50 फीसदी से 4, 60 फीसदी से 2, 70 फीसदी से 1 और 80 फीसदी से एक रैप। हर सेट के बाद वाजिब रेस्ट करें। जल्दबाजी करने की कोई जरूरत नहीं है। उतना रेस्ट लें, जितना आपको ठीक लगे। आमतौर पर इतना रेस्ट करना चाहिए कि बॉडी ठंडी भी न पड़े और हार्ट बीट भी नॉर्मल के आसपास आ जाए।
अब आप अपनी ताकत को तीन बार परखेंगे
पहली बार – आप जितना वजन लगा सकते हैं उसका 90 से 94 फीसदी वेट लगाएं और एक रैप निकालें। इतना तो लग ही जाएगा इसलिए अगली कोशिश में आप 96 से 100 फीसदी वेट लगाकर एक रैप निकालें। अगर ये निकल गया तो तीसरी कोशिश में 100 से 104 फीसदी वेट ट्राई करें। मान लें कि आप सौ किलो वेट लगा लेते हैं तो पहली कोशिश में 90 से 94, दूसरी में 96 से 100 और तीसरी में 100 से 104 किलो वेट लगाएं।
इस टेस्ट को कभी कभी करना चाहिए रोज नहीं। हालांकि आपको अपने हर बड़ी कसरत जैसे फ्लैट बेंच प्रेस, स्क्वेट, डेड लिफ्ट, शोल्डर फ्रंट प्रैस का वन रैप मैक्सिमम पता होना चाहिए। इस टेस्ट के दौरान आपके साथ कोई मजबूत शख्स जरूर होना चाहिए जिसे ये पता हो कि वेट को कैसे संभाला जाता है। कलाइयों पर गर्म पट्टी या बैंड बांध लेंगे और कमर पर बेल्ट लगा लेंगे तो इंजरी की गुंजाइश जरा कम हो जाएगी।