अगर किसी को चोट या मोच आ जाए तो उसे गर्म व ठंडी सिकाई करने की सलाह दी जाती है। भारत में गर्म सिकाई को ज्यादा अहमियत दी जाती है और पशिचमी मुल्कों में ठंडी सिकाई को। उधर के देशों में चोट मोच से राहत पाने के लिए राइस (RICE) को अपनाया जाता है। इसका मतलब होता है Rest, Ice, compression and elivatoin. मतलब आराम करें, बर्फ लगाएं, हल्के दबाव में ढकें और पार्ट को सहारा देकर रखें। हालांकि कहा जाता है कि यह सब कुछ दिन ही काम आता है और उसके बाद हल्की गर्माहट काम आती है।
हैवी और लंबी कसरत के बाद कई बार मसल्स में अच्छा खासा दर्द होने लगता है। यह दर्द कसरत करने के एक दो दिन बाद शुरू होता है दो तीन दिन तक रहता है। इसे डीलेड ऑनसेट मसल सोरनेस बोलते हैं। मसल्स के दर्द को कम करने के लिए कुछ लोग गर्म तो कुछ ठंडी सिकाई करते हैं। मगर अभी तक यह पूरी तरह से तय नहीं हो पाया था कि दोनों मे से कौन सी सिकाई बेहतर है।
हाल ही में जर्नल ऑफ स्ट्रेंथ एंड कंडिशनिंग रिसर्च में एक दोनों तरह की सिकाई की तुलना करते हुए एक लेख प्रकाशित हुआ है। जिस रिसर्च के नतीजे छापे गए हैं उसमें 100 लोगों को शामिल किया गया। इन लोगों के मसल्स को पहुंचे नुकसान और दर्द की तुलना की गई। इन लोगों को 15 मिनट तक स्कवेट करवाई गई। इनमें से आधों को ठंडे या गर्म सिकाई दी गई और आधों को कोई इलाज नहीं दिया गया। शोध करने वालों ने पाया कि दोनों तरह की सिकाई से मस्लस को होने वाले नुकसान को कम करने में लगभग बराबर मदद मिली मगर कसरत करने के तुरंत बाद और 24 घंटे के गैप के बाद भी दर्द को कम करने में ठंडी सिकाई ज्यादा आगे रही।
स्रोत – एनवाईटी
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Sir kamar dard ke liye koi aurvedic upaye btaye.
रोज सुबह सरसों या नारियल के तेल में लहसुन की तीन-चार कलियॉ डालकर अच्छे से पकाएं और ठंडा होने पर इस तेल से कमर की मालिश करें।
नमक मिले गरम पानी में एक तौलिया डालकर निचोड़ लें। इसके बाद पेट के बल लेट जाएं। दर्द के स्थान पर तौलिये से भाप लें।