सभी ये कहते हैं कि महिला और पुरुषों का दिमाग अलग अलग होता है। इस पर कई किताबें भी लिखी गई हैं, जैसे वुमेंस आर फ्रॉम मार्स–वगैरा। मगर क्या सच में ऐसा होता है। क्या वाकई दोनों का दिमाग अलग अलग होता है। अगर आप मॉर्डन रिसर्च के नतीजों पर यकीन करें तो ऐसा नहीं है। फ्रेंकलिन यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसन एंड साइंस ने लंबे समय से चली आ रही इस अवधारणा को अपनी रिसर्च की बदौलत चुनौती दी है कि इमोशन और सेंस को कंट्रोल करने वाला दिमाग का हिस्सा महिलाओं में ज्यादा बड़ा होता है।
यूनिवर्सिटी के मेडिकल स्कूल में न्यूरोसाइंस के एसोसिएट प्रोफेसर लाइस इलीट ने छात्रों की एक टीम के साथ दिमाग के उस हिस्से के एमआरआई स्कैन का एनालिसस किया, जिसके नतीजे के रूप में यह बात सामने आई औरत और मर्द के दिमाग में कोई फर्क नहीं होता। इस टीम ने इस दिशा में की गई कई रिसर्च को एक जगह जुटा कर उसका अध्ययन किया। इस टीम ने 6000 से ज्यादा स्वस्थ लोगों को शामिल करते हुए 76 से ज्यादा रिसर्च पेपरों की पड़ताल की।
इमोशन और सेंस से जुड़ा हिस्सा दिमाग के दोनों तरफ होता है। इस टीम ने लंबे समय से चली आ रही मान्यता को चुनौती दी है। डॉक्टर इलीट कहते हैं कि जब आप प्रचलित मान्यता से हटकर डाटा पर नजर डालते हैं तो आप पाते हैं कि अंतर बहुत कम है।