वजन कम करने को लेकर लो फैट डाइट पर लंबे अर्से से बहस हो रही है और इससे जुड़ी कई रिसर्च भी हो चुकी हैं, जिनके नतीजे मिलेजुले आए हैं। इस बहस का अंत करने के मकसद से बर्मिंघम एंड वुमेन्स हॉस्पिटल (बीडब्लूएच)और हार्वर्ड टी चान स्कूल ऑफ पब्िलक हेल्थ ने कई रिसर्च और ट्रायल के नतीजों का अध्ययन करने के बाद यह नतीजा पाया कि जब बात लंबे समय तक वेट लॉस की बात हो तो फैट कम खाएं या सामान्य कोई फर्क नहीं पड़ता।
बीडब्लूएच के शोधकर्ता टॉबियाज़ का कहना है कि इस बात पर बहुत जोर दिया जाता है कि वजन कम करने के लिए व्यक्ति को अपनी डाइट में फैट कम कर देना चाहिए मगर इसके बावजूद वैज्ञानिक सबूत इस बात का समर्थन नहीं करते। खासकर जब वेट घटाने या कम वेट मेनटेन करनी की मुहिम लंबे समय तक चलती हो।
वैज्ञानिकों का कहना है कि हमें ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जिसकी बदौलत हम यह कह सकें कि लंबे समय अवधि के दौरान फैट से मिलने वाली कैलोरी और वेट लॉस से कोई लेनादेना है। हमें स्वस्थ खानपान तय करने के लिए फैट, कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन से मिलने वाली कैलोरी से आगे बढ़कर सोचना होगा। हमें पूरे भोजन और उसकी मात्रा को देखना होगा। हेल्दी वजन बनाए रखने के लिए हमें ऐसी डाइट के बारे में विचार करना होगा जो लंबे समय में वेट गेन को रोकने के काबिल हो।
कुल मिलाकर शोधकर्ताओं का कहना है कि एक स्वस्थ जीवन के लिए हमें दूर तक सोचना होगा। पुरानी बातों पर लकीर के फकीर की तरह चलने की बजाए हर शख्स की जरूरत के हिसाब से चीजें तय करनी होंगी।
स्रोत – साइंसडेली