विज्ञान इसी तरह तरक्की करता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब लोग लेटे लेटे बॉडी बनाएंगे और जिमों पर ताले पड़ जाएंगे। वैज्ञानिक ऐसी गोली इजाद करने की कगार पर हैं, जिसे खाने के बाद शरीर में वो बदलाव आएंगे जो कसरत करने से आते हैं।
ऑस्ट्रेलिया के विशेषज्ञों ने यह कारनामा किया है। उन्होंने पाया कि कसरत करने से शरीर में करीब 1000 तरह के छोटे बड़े बदलाव आते हैं। एक्सरसाइज से शरीर में होने वाले बदलाव समझ में आने के बाद वैज्ञानिक अब इस कोशिश में जुटेंगे कि वो ही बदलाव किसी दवा को खाने से शरीर में पैदा हों। वैज्ञानिकों ने भविष्य का खाका खींच दिया है।
हालांकि इसका यह मतलब कतई नहीं है कि इस रिसर्च का मकसद ऐसे लोगों के लिए दवा बनाना है जो कामचोरी करें। मकसद तो ये है कि ऐसे लोग जो किसी शारीरिक अक्षमता या बीमारी के चलते कसरत नहीं कर सकते वो लोग दवा खाकर फायदा ले पाएं।
यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी के प्रमख शोधकर्ता प्रोफसर डेविड का कहना है कि इंसानों की कई बीमारियों जैसे टाइप टू डायबटीज, दिल और दिमाग से जुड़ी परेशानियों में कसरत बहुत ज्यादा फायदा पहुंचाती है। हालांकि कुछ लोगों के लिए कसरत करना मुमकिन नहीं है। इसलिए यह जरूरी है कि हम ऐसा दवा का विकास करें जो एक्सरसाइज जैसे रिएक्शन पैदा कर सके।
शोधकर्ताओं ने पाया कि छोटे और धाकड़ वर्कआउट से बॉडी के भीतर एक हजार से ज्यादा बदलाव आते हैं। इनमें से कई ऐसे बदलाव हैं, जिनके बारे में पहले यह पता नहीं था कि वो कसरत के चलते होते हैं। अभी जो दवाएं मौजूद हैं वो एक या दो बदलावों को ही प्रमोट करती हैं। वैज्ञानिकों ने अभी जो खाका खींचा है उसके मुताबिक जो भी दवा एक्सरसाइज जैसी फीलिंग पैदा करने के लिए तैयार की जाएगी उसको बॉडी में एक साथ कई तरह के बदलावों को जन्म देना होगा।
यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी के ही डॉक्टर नोलान हॉफमैन कहते हैं कि यह बहुत बड़ी कामयाबी है। इसी बदौलत वैज्ञानिक वो दवा बना पाएंगे जो एक्सरसाइज से मिलने वाले फायदों की पूरी पूरी नकल कर पाएगी।
स्रोत : डेलीमेल