हम यह नहीं कह रहे कि सूंघने की ताकत आपकी उम्र को लंबा कर देगी। साल्ट मॉलीक्यूलर न्यूरोबायोलॉजी लैब में असिस्टेंट प्रोफेसर श्रीकांत चलसानी कहते हैं, मगर सूंघने की क्षमता और उसको लेकर किसी का व्यवहार कुछ न कुछ इशारा जरूर करता है।
किसी भोजन जैसी महक की तरफ कीड़े कितना और कैसे अट्रेक्ट होते हैं इसका हिसाब लगाकर साल्ट लेक इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता यह पता लगाने में सफल हो गए यह कीड़ा लंबा जिएगा या कम। उन्होंने इस बात को समझ लिया कि कैसे छोटा कीड़ा वातावरण के बारे में जानकारी जुटाता है और कैसे उम्र बढ़ने के साथ दिमाग के सर्किट बदलने लगते हैं।
शोधकर्ताओं का अध्ययन सूंघने और उसके बाद व्यवहार में आने वाले परिवर्तन को आधार बनाकर हुआ है। दिमाग में 12 तरह के न्यूरॉन होते हैं जो वतावरण से ऐसी चीजों को सेंस करते हैं, जिनसे किसी तरह का व्यवहार परिवर्तन हो चाहे वो पॉजीटिव हो या नेगेटिव। उनका कहना है कि ये न्यूरॉन बॉडी के कई और पार्टस को एक्टिवेट करते हैं। साइंस डेली डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कम उम्र और ज्यादा उम्र वाले जानवरों को शामिल किया। उन्होंने पाया कि ज्यादा उम्र होने के बावजूद वो जानवर जो महक को पकड़ने में कामयाब रहे कम उम्र वाले उन जानवरों के मुकाबले 16 फीसदी ज्यादा जिए जो महक की तरफ बढ़ने में असफल रहे।
इन सबके आधार पर वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे कि अगर न्यूरॉन से मिलने वाले सिग्नल और शरीर के अन्य अंगों के बूढ़े होने के बीच रिश्ता साफतौर पर कायम हो जाता है तो नर्वस सिस्टम से छेड़छाड़ कर बुढ़ापे के प्रभावों को कम करने में मदद मिल सकती है।
अगर यह शोध सही दिशा में आगे बढ़ा तो हो सकता है एक दिन वैज्ञानिक आपकी सूंघने की क्षमता को भांप कर ये जान लें कि अब आप कितना जिएंगे।
Source: Salk Institute for Biological Studies