वैसे तो योग का मकसद रोगों को ठीक करना नहीं है मगर ये बात भी सही है कि योग से रोग भागता है। उष्ट्रासन वो आसन है जिसे कई बीमारियों के यौगिक मैनेजमेंट में शामिल किया जाता है। यह आसन बहुत कठिन नहीं है, हां बहुत आसान भी नहीं है। थोड़ी सी कोशिश से हो जाता है। उष्ट्रासन खासतौर कमर और फेफड़ों की तंदरुस्ती की रक्षा करता है।
उष्ट्रासन कैसे करें
- वज्रासन में बैठे जाएं। इसके बाद घुटनों पर खड़े हो जाएं और घुटनों के पंजों के बीच आठ से दस इंच का गैप बना लें। चाहें तो इससे ज्यादा गैप भी रख सकते हैं। अभ्यास करते करते गैप अपने आप कम होता जाएगा।
- अब अपने दोनों हाथों को सामने की ओर सीधा करें और फिर थोड़ा सा ऊपर उठाते हुए पीछे की ओर ले जाएं।
- झुकें और पहले एक हाथ फिर दूसरे हाथ को पैर के ऊपर एड़ी के पास टिका लें। गर्दन पीछे और लटकी रहेगी। जहां कंफर्टेबल हों, वहां की ओर देखें।
- पीछे की ओर मुड़ने वाले आसनों में यह आसन औसत रूप से कठिन माना जाता है। यानी न भारी और न ही हल्का।
- तीन मिनट तक इस आसन में स्थिर रहने का अभ्यास करें।
ध्यान रखने वाली बातें
- आंखें बंद नहीं करनी हैं और सांस सामान्य रफ्तार से चलती रहेगी।
- वैसे तो इस आसन में पंजे लेटे रहते हैं मगर शुरुआत में आप पंजे खड़े कर लेंगे तो इसे करना थोड़ा आसान हो जाएगा।
- कोशिश करें कि कमर से लेकर घुटने का हिस्सा एक लाइन में रहे। हालांकि इसके लिए जबरदस्ती न करें अभ्यास से यह भी हो जाएगा।
- इस आसन के बाद शशांकासन करना चाहिए।
आसन करने से पहले पढ़ें चेतावनी
– अल्सर, आंतों की बीमारी, हार्निया, लिवर व तिल्ली बढी हो तो यह आसन नहीं करना चाहिए।
– स्लिप डिस्क है तो यह जानना जरूरी है कि वह कहां है और किस दर्जे का है। ऐसे लोग सही योग प्रशिक्षक से सलाह लेने के बाद ही यह आसन करें।
क्या हैं उष्ट्रासन के लाभ
- सबसे पहले को कमर के तमाम रोगों के निदान में यह काम आता है।
- इससे फेफड़ों को भी बहुत फायदा पहुंचता है। यह फेफडों के उन हिस्सों को भी सक्रिय करता है, जो आमतौर पर काम ही नहीं करते।
- थायराइड के रोगियों को भी फायदा पहुंचाता है।
- हाई ब्लड प्रेशर, पेट की गड़बड़ियां, मोटापा और डायबटीज के लिए जो यौगिक प्रोटोकॉल बनता है उनमें उष्ट्रासन शामिल किया जाता है।