देश के डॉक्टर जो अभी तक गरीबी के चलते पैदा हुई कुपोषण की समस्या से लड़ रहे थे अब अमीरी से पैदा हुए मोटापे और मोटापे से पैदा हुई बीमारियों से जंग लड़ रहे हैं। हालांकि ऐसा सिर्फ हमारे यहां नहीं हो रहा। पश्िचमी देशों के वैज्ञानिकों ने तो यह तक कह दिया है कि अगर लोगों का जीवन बचाना है तो सरकार को ट्रांस फैट पर पूरी तरह से बैन लगाना पड़ेगा।
अभी चंद दिनों पहले ही भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें चेतावनी दी गई है कि अगर यहां मोटापे से लड़ने के कारगर उपाय नहीं किए गए तो आने वाले वक्त में यह कातिल नंबर वन बन जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को है।
इधर ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में वैज्ञानिकों ने आने वाली पीढ़ी को जानलेवा मोटापे से बचाने के लिए सुझाव दिए हैं। ऑक्सफोर्ड और लिवरपूल यूनिवर्सिटी के शिक्षाविदों का कहना है कि भोजन में ट्रांस फैट को पूरी तरह से बैन कर देने से हजारों जानें बचाई जा सकती हैं। यह रिपोर्ट डेली मेल में छपी है।
आपको बता दें कि किसी भी तेल को जब हाइड्रोजन से में से गुजार दिया जाता है तो ट्रांस फैट बनता है। यह तेल को भारी बनाने के लिए किया जाता है, जैसे वनस्पति घी। हमारे यहां इसका बहुत इस्तेमाल किया जाता है रेस्टोरेंट, रोड साइड ढाबे और नमकीन वगैरा बनाने में यह इस्तेमाल होता है। इसमें कई बार चीजें तली जा सकती हैं। यही वो फैट है जो खून की नसों वगैरा में जमकर उन्हें संकरा कर देता है।
बहरहाल वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर इस पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया जाए तो दिल का दौरा पड़ने की घटनाओं में कमी आ जाएगी।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की रिपोर्ट कहती है कि देश की 13 फीसदी आबादी मोटापे की गिरफ्त में आ सकती है। भारत के कई अस्पतालों में 16 एक्सपर्ट ने इस सिलसिले में एक रिसर्च की है, जिसका लब्बोलुबाब ये है कि आने वाले वक्त में भारत में सेहत का नंबर वन दुश्मन बन जाएगा मोटापा।
आप क्या कर सकते हैं
पैकेट पर यह जरूर देखें कि उसमें ट्रांस फैट कितना है। अगर लिखा है 0 फीसदी, तो इसका मतलब होगा 0 से ज्यादा मगर .5 फीसदी से कम।
स्रोत – डेली मेल