आज के वक्त में चरक सूत्र के हिसाब से रहना लगभग नामुमकिन है। हम आपसे कह भी नहीं रहे कि उसके हिसाब से चलें। मगर हमारे ग्रंथों में यौगिक डाइट के बारे में जो कुछ बताया व सुझाया गया है उसे अगर आप 50 फीसदी भी अपना लेंगे तो तंदरुस्त रहेंगे और कम बीमार पड़ेंगे। यह उतना मुशिकल भी नहीं है, जितना लगता है। हमारे ग्रंथों में तीन तरह की डाइट का जिक्र है यौगिग आहार, राजसिक आहार और तामसिक आहार। इस लेख में हम यौगिग आहार के कॉन्सेप्ट के बारे में बात करेंगे।
1 जीवन तत्व और मृत तत्व, live and dead eliment
यहां जीवत आहार या ऐसा आहार जिसमें जीवन तत्व ज्यादा हो उसे प्राथमिकता दी जाती है। कहा जाता है कि जिस भोजन को जितना ज्यादा अग्नी दिखाई जाती है उसमें जीवन तत्व उतना ही कम हो जाता है। आप भोजन को जितना पकाएंगे और जितनी तेज आंच पर पकाएंगे उतना ही उसमें मृत तत्व बढ़ जाएगा। जैसे कच्ची सब्जी में जीवन तत्व काफी होता है। जब आप उसे पकाएंगे तो उसमें मृत तत्व बढ़ जाएगा, आप उसे और पकाएंगे तो उसमें मृत तत्व और बढ़ जाएगा। विज्ञान की भाषा में बात करें तो ऐसे भोजन में कार्बन बढ़ जाता है और कार्बन जीवन का अपोजिट होता है। इसके उलट अगर आप दालों या चने वगैरा को अंकुरित करके खाएंगे तो उनमें जीवन तत्व और बढ़ जाएगा। नॉन वेज में तो मृत तत्व बेहद ज्यादा होता है। ऐसा भोजन करने से हमारा पेट तो भर जाएगा मगर शरीर में कहीं न कहीं दोष भी पैदा हो जाएंगे।
2 हित भुक, मित भुक – चरक ऋषि ने एक बार अपने शिष्यों से पूछा कौ रुक कौ रुक कौ रुक अर्थात कौन है जो रोगी नहीं है। इसके जवाब में उनके शिष्य वागभट्ट ने कहा, हित भुक, मित भुक, ऋतु भुक। यानी वो इंसान बीमार नहीं है जो अच्छा भोजन करे, कम भोजन करे और मौसम के हिसाब से भोजन करे। आयुर्वेद के अनुसार, हमें शरीर में भोजन, पानी और वायु का बैलेंस बना कर रखना चाहिए। भोजन 50 फीसदी, पानी 25 फीसदी और वायु के लिए 25 फीसदी जगह रखें। डकार आने के बाद न खाएं।
मौसम के हिसाब से खानपान करें। हर मौसम में सबकुछ नहीं खा सकते। मौसम बदलता है तो हमारी बॉडी में कई तरह के कैमिकल बदलाव होते हैं। आपकी दादी नानी को इसके बारे में पता होता है। नहीं तो किसी आयुर्वेद के ज्ञानी से मिलकर मौसम के हिसाब से खानपान का चार्ट बनवा लें। चरक सूत्र, सुश्रुत संहित और गीता में भी इस बात का जिक्र है कि इंसान को कैसा और किस तरह भोजन करना चाहिए।
3 न गुस्से में पकाएं न गुस्से में खाएं – भोजन कभी भी बेहद गुस्से में न पकाएं। योग साइंस कहता है कि जिस भाव के साथ कोई भोजन पका रहा है वो भोजन में चले आते हैं। इसी तरह से बहुत परेशानी या बहुत गुस्सा हो तो भी भोजन न करें। थोड़ा शांत होकर खाना खाएं। आपको यह बातें अजीब लग सकती हैं मगर यह बातें सौ फीसदी सही हैं। योग विज्ञान को आज तक कोई चैलेंच नहीं कर पाया है। हमारे शरीर में सात तरह की धातुएं होती हैं जो भोजन से बनती हैं। हम भोजन केवल पेट के लिए नहीं करते अपने मन-चित्त के लिए भी करते हैं। इसका हमारी पर्सनेलिटी और सेहत पर बहुत प्रभाव पड़ता है।
4 सूर्य स्वर में भोजन – जब सूर्य स्वर चल रहा हो तो भोजन करें। इससे वह अच्छे से पच जाता है। हमारी नाक के दो छेद होते हैं। हम एक बार में एक से ही सांस लेते और छोड़ते हैं। दूसरा छेद भी चल रहा होता है मगर क्लियर सांस एक से ही चल रही होती है। दायां छेद चल रहा है तो इसे सूर्य नाड़ी अथवा सूर्य स्वर कहेंगे। बाएं छेद
से सांस ले रहे हैं व छोड़ रहे हैं तो इसे चंद्र स्वर कहेंगे। मुट्ठी बांध कर पलट कर अपनी नाक के पास ले जाएं आपको पता चल जाएगा कि कौन सा स्वर चल रहा है। वैसे स्वर हर घंटे में बदलता है मगर आप चाहें तो खुद भी स्वर बदल सकते हैं। इसके तीन तरीके हैं। अगर आपको सूर्य स्वर चलाना है तो खाने से पहले वज्रासन में बैठ जाएं दो चार मिनट बाद अपने आप दायां स्वर चलने लगेगा। या बाईं करवट लेट जाएं दो चार मिनट बाद दायां स्वर चलने लगेगा। या अंगूठा बाहर रखते हुए अपनी हथेली को बाईं बगल में कसकर दबा लें थोड़ी देर में दायां स्वर चल पड़ेगा। एक बार जो स्वर शुरू हुआ वह एक घंटे तक चलेगा।
यौगिक डाइट एक नजर में, yogic diet in nutshell
1 दिन में कम से कम एक बार अंकुरित अनाज जरूर खाएं।
2 एक या दो मौसमी फल जरूर खाएं। इनमें जीवन तत्व, रस और
मिठास होती है।
3 डकार आने के बाद भोजन करना बंद कर दें और भोजन के कम
से कम एक घंटा बाद पानी पिएं।
4 जिन सब्जियों को कच्चा खा सकते हैं उन्हें कच्चा खाएं।
5 सप्ताह में एक दिन फलाहार करें।
6 भोजन तब करें जब सूर्य स्वर चल रहा हो। खाने से पहले वज्रासन
में बैठें, बाद में भी बैठ सकते हैं।
7 खाने में ड्राई फ्रूट्स को भी शामिल करें। इनमें मिठास और फैट
बहुत वाजिब मात्रा में होता है।
8 मौसम के हिसाब से खानपान में बदलाव करें। यह जानकारी
जुटाना बहुत मुश्किल काम नहीं है। किसी आर्युवेद के डॉक्टर से
मिलकर यह जान लें कि आपमें कौन सा दोष है कफ, पित्त या वात
और उसी के हिसाब से चुनें।
9 बहुत गुस्से या टेंशन में हों तो शांत होने के बाद ही भोजन करें।
10 बासी, बारबार का पकाया हुआ खाना एवॉइड करें और हां ध्यान
रखें ब्रेड भी बासी ही होता है चाहे उस पर कोई भी तारीख पड़ी हो।