देश की राजधानी दिल्ली में जहरीली आबोहवा की वजह से हर रोज 80 लोग मौत का शिकार हो रहे हैं। यह बात खुद पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुरुवार को राज्यभा में बताई है।
अब तो आपको अंदाजा हो गया होगा कि दिल्ली किस हद तक पॉल्यूटेड हो चुकी है। तभी तो नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 15 साल से पुरानी पेट्रोल वाली गाड़ियां और 10 साल पुरानी डीजल वाली गाड़ियां बंद करने का ऑर्डर दिया है। मंत्री जी ने यह जानकारी एक इंटरनेशनल स्टडी के आधार पर दी है।
आपको याद दिला दें कि अभी चंद महीने पहले भी एक रिपोर्ट आई थी, जिसके मुताबिक स्कूल जाने वाले दिल्ली के हर तीसरे बच्चे के फेफड़े कमजोर बताए गए थे। देश के नामी कैंसर संस्थान चितरंजन नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के मुताबिक राजधानी के तकरीबन 22 लाख बच्चों के फेफड़ों में दिक्कत है। चार से सत्रह साल के स्कूल जाने वाले दिल्ली के बच्चों की हालत राजधानी से दूर रहने वाले इसी उम्र के बच्चों से कहीं ज्यादा खराब है। सबसे बुरी बात यह है कि प्रदूषण से इन बच्चों के फेफड़ों को जो नुकसान हो रहा है वो आगे जाकर ठीक नहीं होगा। ये बच्चे सांस से जुड़ी परेशानियों के साथ ही जवान होंगे।
अभी दो दिन पहले ही एनजीटी ने सेंट्रल गवर्नमेंट और दिल्ली गवर्नमेंट को डांट लगाते हुए कहा था कि सरकार इस मामले को लेकर सीरियस नहीं दिखाई दे रही है। यह बताएं कि आपकी लापरवाही का खामियाजा जनता क्यों भुगते?
क्या करें आप और हम
हर कोई कोशिश करे तो कुछ असर जरूर पड़ेगा। हम कार पूल करें, पब्लिक ट्रांसपोर्ट का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें। गाड़ियों का पॉल्यूशन ईमानदारी से चैक करवाएं और अगर गड़बड़ी है तो पैसे देकर कागज बनवाने की बजाए उसे मैकेनिक से ठीक करवाएं। पैदल और साइकिल से जाने की आदत भी बनाएं।
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