ऑस्ट्रेलिया के अस्पताल की इमरजेंसी में चंद दिनों पहले एक युवती को लाया गया। वह देखने भालने में स्वस्थ थी, मगर उसके पैर काम नहीं कर रहे थे। वह सड़क पर चलते-चलते गिर गई और फिर उठ ही नहीं पाई। डॉक्टरों ने पड़ताल की तो सामने आई टाइट जींस की करतूत।
दरअसल इन मैडम का कोई रिश्तेदार बाहर जा रहा था तो ये पैकिंग कराने में उसकी मदद कर रही थीं। इस दौरान ज्यादातर समय आधी बैठी रहीं, जैसा कि पैकिंग के दौरान हम लोग भी पंजों पर वजन डालकर बैठते हैं। इसका नतीजा ये हुआ कि उनकी नसें दब गईं। एक तो जींस टाइट थी उसपर बैठने से वो और टाइट हो गई।
जब इन्हें अस्पताल लाया गया तो डॉक्टरों को इनकी जींस काटकर निकालनी पड़ी क्योंकि इनके पैर भयंकर सूज गए थे। चार दिन अस्पताल में रहने के बाद सूजन खत्म हुई और यह युवती अपने पैरों पर चल पाई।
डॉक्टरों से बातचीत के दौरान युवती ने बताया कि पैकिंग के दौरान उन्होंने यह बात महसूस की थी कि उसकी जींस और टाइट होती जा रही है, मगर इस पर खास ध्यान नहीं दिया। इस केस का जिक्र ऑस्ट्रेलिया के जर्नल ऑफ न्यूरोलॉजी, न्यूरोसर्जरी और साइकेट्री में भी किया गया है।
सलाह
अगर आपको बहुत ज्यादा बैठना हो तो ज्यादा टाइट जींस से परहेज करें। बैठने से हमारा मतलब कुर्सी या सोफे पर बैठने नहीं बल्िक आधा अधूरा बैठने से है, जैसे हम जमीन पर कुछ काम करते हुए पंजों पर बैठ जाते हैं या किसी बच्चे को खिलाते वक्त अथवा पटरी पर खरीदारी करते वक्त बैठते हैं। जींस खुद आपकी नसों को नहीं दबाती मगर ये स्थिति को इतना खराब कर सकती है कि आपके पैर सुन्न पड़ जाएंगे।