बदन के गणित को समझने और सुलझाने के मामले में वैज्ञानिकों ने काफी काम किया है। बॉडीबिल्डिंग को लेकर पिछले दस सालों में हुई रिसर्च ने कई पुराने कायदों को चुनौती दी है और कई पर पुख्ता मोहर भी लगा दी है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि विदशों में एक्सरसाइज साइकोलॉजी भी एक सब्जेक्ट है और लोग इसमें पीएचडी करके डॉक्टरेट की डिग्री लेते हैं। बहरहाल तमाम विदेशी यूनिर्वसिटी और मेडिकल कॉलेजों में बॉडीबिल्डिंग और एक्सरसाइज को लेकर हो रहे शोधों से रोज नई चीजें सामने आ रही हैं। कितना प्रोटीन लेना चाहिए, सप्लीमेंट लेने का सुनहरा वक्त और ऐसे ही चंद सबसे फेमस कायदों और उनकी सच्चाई पर डालते हैं एक नजर।
मिथक – सिर्फ हैवी वेट लगाने से ही बड़े मसल्स बनेंगे
सच – बॉडीबिल्डिंग का बहुत ही बेसिक कायदा है कि बड़ा नहीं उठाओगे तो बड़ा नहीं पाओगे। मतलब ये है कि भारी से भारी वेट उठाओ, मसल्स बनाओ। अब सुनें कि विज्ञान इस मामले में क्या कहता है। ये बात सही है मगर सौ फीसदी नहीं। रिसर्च कहती है कि सिर्फ हैवी वेट उठाने से काम नहीं चलता। हम और कई तरीकों से अपने मसल्स को वो टेंशन दे सकते हैं जो हैवी वेट से मिलती है। तो हमें क्या करना चाहिए।
- ड्रॉप सेट, हाफ रैप, स्लो रैप, सुपर सेट, कंपाउंड सेट, कॉम्पलैक्स सेट वगैरा का इस्तेमाल करें।
- हर बार हैवी उठाने की बजाए वर्कआउट की इंटेसिटी को बढ़ा कर अपना काम निकाल सकते हैं। रेस्ट का पीरियड कम करें। दो एक्सरसाइज एक साथ करें। मतलब पहला एक का सेट फिर तुरंत दूसरे का सेट फिर रेस्ट।
- दिमाग और मसल्स के कनेक्शन और बढ़ाएं। वेट को फील करना सीखें। बाइसेप्स और ट्रैप्स की एक्सरसाइज में खासतौर पर यह जरूरी है।
- जो भी सेट लगाएं उनमें आखिर के चार से पांच रैप में दिमाग पूरी तरह से मसल्स पर फोकस रखें।
- हर एक्सरसाइज में कम से कम एक सेट ऐसा हो, जिसमें मसल्स फेल हो जाएं।
मिथक – जिम करने के आधे घंटे के भीतर हर हाल में प्रोटीन लेना चाहिए।
सच – अंग्रेज लोग इसे एनाबॉलिक विंडो कहते हैं। कहा जाता है कि कसरत करने के आधे एक घंटे के भीतर प्रोटीन लेना सबसे ज्यादा फायदा करता है। यह बात अब जिम जाने वालों के लिए एक कानून बन गई है। आपने नोट किया होगा कि अच्छी फिजिक वाले ज्यादातर युवक एक्सरसाइज के तुरंत बाद जिम में ही प्रोटीन शेक पीते हैं। यूनिर्वसिटी ऑफ सेंट्रल फ्लोरिडा के शोधकर्ता ने अपनी टीम के साथ इस पुराने कायदे की पड़ताल की। नतीजा ये आया कि इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ता। हमारे मसल्स उतने दीन हीन नहीं हैं, जितना हम उन्हें मानते हैं। वो इंतजार कर सकते हैं वो खुद को संभाल सकते हैं।
बात का निचोड़ – जिम में अपने साथ प्रोटीन शेक ले जाते हैं तो ले जाते रहें। जल्दी पी लेंगे तो जल्दी हजम भी हो जाएगा। मगर ये न समझें कि यह सबसे जरूरी चीज है। बॉडीबिल्डिंग इस बात पर डिपेंड करती है कि बाकी के दिन आप क्या करते हैं। एक्सरसाइज करने के बाद ऑफिस निकल जाने वाले लोगों को भी जिम में ही शेक पी लेना चाहिए।
मिथक – जितना प्रोटीन लेंगे उतनी बॉडी बनेगी।
सच – हर कोई ये कहता है और 99 फीसदी लोग यही मानते हैं। बॉडी बनाने के लिए शरीर को उम्दा और अच्छी मात्रा में प्रोटीन जरूर चाहिए, मगर प्रोटीन ठूसते रहने से काम बन जाएगा, ऐसा नहीं है। हमारा शरीर तब बनता है जब मसल्स की मरम्मत, मसल्स की टूटफूट के मुकाबले ज्यादा तेज होती है। मगर प्रोटीन द्वारा मसल्स की मरम्मत की भी एक सीमा होती है ( इसे प्रोटीन सिंथेसिस अपर लिमिट कहते हैं)। इसका मतलब ये है कि इस सीमा के ऊपर प्रोटीन लेने का भी कोई फायदा नहीं होने वाला।
शोधकर्ताओं ने कसरत करने के बाद करीब 70 किलो वजनी कुछ युवकों को 20 ग्राम और कुछ युवकों को 40 ग्राम प्रोटीन वाला शेक दिया। उनकी शारीरिक पड़ताल करने पर पता चला कि सभी युवकों का प्रोटीन सिंथेसिस एक समान रहा। बाकी तरह के प्रोटीन के मामले में भी यही बात सामने आई। मतलब ये है कि एक बार में 30 ग्राम प्रोटीन की डाइट भी उतना ही काम करती है, जितना 50 ग्राम की।
नतीजा – अपनी शरीर की प्रोटीन की जरूरत को कैलकुलेट करने के बाद उसे छोटे छोटे हिस्सों में बांट लें। मसल्स का पेट भर जाने के बाद और ठूसने से काम नहीं बनने वाला। शरीर की प्रोटीन को इस्तेमाल करने की कैपेसिटी बढ़ाने पर ध्यान दें। फैट वगैरा भी लें।
मिथक – खाली पेट कार्डियो करने से फैट जल्दी घटता है
सच – लंबे समय से लोग ये समझते आ रहे हैं। यह आम धारणा है कि खाली पेट कार्डियो करने पर शरीर सबसे पहले शरीर में मौजूद फैट से एनर्जी लेने लगता है। यह बात सही है कि जब हम सोकर उठते हैं तो हमारी बॉडी का इंसुलिन और ग्लाइकोजिन लेवल कम हो चुका होता है। लेकिन इस सिलसिले में हुई शोध कहती है कि कुछ खाकर कार्डियो करने और खाली पेट कार्डियो करने का फैट लॉस पर एक जैसा असर पड़ता है। सच तो ये है कि खाली पेट ज्यादा कार्डियो हो भी नहीं पाती।
नतीजा – अगर आप वेट घटाने की कोशिश कर रहे हैं, मगर आपको लगता है कि खाली पेट कार्डियो करने में दम निकल रहा है तो जरूर कुछ खा लें। अगर आप मसल्स बनाते हुए या बरकरार रखते हुए फैट कम कर रहे हैं तो खाली पेट कार्डियो कतई न करें। क्योंकि ऐसा करने पर आपका शरीर मसल्स में मौजूद प्रोटीन को ईंधन के तौर पर इस्तेमाल करने लगेगा, जो घाटे का सौदा है।
बॉडीबिल्डिंग से जुड़े 5 मिथ और उनकी सच्चाई पार्ट 2
मिथक – बॉडी के जिस पार्ट पर फैट हो उसकी कसरत करके घटा सकते हैं
सच – गलत, स्पॉट फैट रिडक्शन जैसा कुछ नहीं होता। अगर आप सोचते हैं कि पेट पर चर्बी है तो बस पेट की कसरत से चर्बी कम हो जाएगी तो आप बिल्कुल गलत सोचते हैं। आपको आपका बदन कई हिस्सों में बंटा दिख रहा होगा मगर शरीर अपने आप को एक यूनिट की तरह देखता है।
आपको कहीं का भी फैट घटाना हो कसरत तो पूरे बदन की करनी होगी। आपकी बॉडी खुद तय करेगी कि उसे कहां से फैट घटाना है आप बस उसे दिशा दे सकते हैं। हर रोज पेट की कसरत करने से वहां के मसल्स सख्त हो जाएंगे। इससे आपका पेट उतना झूलेगा नहीं मगर कसरत से शरीर को मिलने वाली चुनौती कम हो जाएगी। कसरत तभी काम करती है जब बॉडी को उससे एक चैलेंज मिलता है।
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