- ऐतेकाफ से मिलती है मन की शांति, सुकून
- तकवा, हिफाजत, शफाअत, इहया, ज़कात-ए-फितरा
- आत्मनियंत्रण, आत्म-संयम, आत्म-मूल्यांकन
- विषैले तत्वों से मुक्त होने का मौका मिलता है
- खून में फैट की मात्रा भी कम होने लगती है
मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए अल्लाह ने रोजे फर्ज किए हैं, जिसे दिली इच्छा से पूरी श्रद्धा के साथ अपनाना होता है। एक माह का यह वक्त शरीर और आत्मा को कई तरह से प्रभावित करता है और खास बात यह है कि यह प्रभाव बेहद सकारात्मक होता है। रोजे के फायदों को कई श्रेणियों में बांटा जा सकता है।
रमजान से तन को मिलने वाले लाभ
1 डीटॉक्सीफाई – रमजान मन के साथ साथ्र शरीर को विषैले तत्वों से मुक्त होने का मौका देता है। पूरे दिन न खाने पीने के चलते एनर्जी हासिल करने के लिए शरीर बदन में मौजूद फैट का इस्तेमाल करने लगता है। जब ऐसा होता है फैट के साथ जमा विषैले तत्व भी बाहर निकलने लगते हैं। आपका लीवर, किडनी और अन्य अंग मिलकर इन विषैले तत्वों को शरीर से बाहर धकेल देते हैं।
2 भूख को वश में करना – चंद दिन भूखे रहकर वजन घटाने वाले लोग आमतौर पर जैसे ही खाना शुरू करते हैं उनका वजन फिर बढ़ जाता है, मगर रमदान का प्रोसेस अलग है। दिन के वक्त लगातार भूखे रहने से धीरे-धीरे आपका पेट सिकुड़ने लगता है। आपका शरीर और दिमाग कम भोजन में काम चलाने के लिए तैयार होने लगता है। चूंकि यह प्रोसेस एक माह चलती है इसलिए शरीर और मन दोनों काबू में आ जाते हैं। अगर कोई चाहे तो रमदान के बाद वेट लॉस की मुहिम को शुरू कर सकता है।
3 शुगर लेवल कम होता है – भूखा रहने से ग्लूकोज को एनजीर् में तब्दील करने की प्रोसेस तेज हो जाती है। इससे शरीर में शुगर का लेवल कम होने लगता है।
रोजा रखने से खून में फैट की मात्रा भी कम होने लगती है। रोजा खोलते वक्त लोग आमतौर पर नींबू की शिकंजी, फल, सलाद, खजूर वगैरा खाते हैं। यह सभी चीजें सेहत के लिए अच्छी होती हैं।
4 पोषक तत्वों को सोखने की क्षमता बढ़ती है – दिन भर न खाने के बाद जब आप कुछ खाते हैं तो शरीर उस भोजन में मौजूद हर पोषक तत्व को हासिल करने की कोशिश करता है। ऐसा एडिपोनेक्टिन हार्मोन में बढ़ोत्तरी के चलते होता है। यह हार्मोन भूखा रहने और देर रात के खाने के चलते बढ़ता है। यह मसल्स की पोषक तत्वों को सोखने की क्षमता को बढ़ा देता है। इससे आपके पूरे शरीर को फायदा पहुंचता है। आम दिनों हम एक के बाद इतना खाते पीते हैं कि हमारा शरीर खाने पीने में मौजूद विटामिन, मिनरल्स व प्रोटीन वगैरा को पूरा तरह से इस्तेमाल ही नहीं कर पाता और धीरे धीरे ये उसकी आदत में शुमार हो जाता है। मगर रमदान का एक माह उसे फिर पटरी पर ला देता है।
5 बुरी लत छूटती है – रोजे रखने वाले लोग सिगरेट, गुटखा और शराब का सेवन नहीं करते। नियम और कायदों में बंधा यह वक्त बुरी आदतें छोड़ने में उनकी मदद करता है। रोजेदार के शरीर और दिमाग को यह संदेश मिल जाता है कि इनके बिना भी आसानी से रहा जा सकता है। यह वक्त हमेशा के लिए नशा छोड़ने की नींव तैयार करता है।
मन और समाज को मिलने वाले लाभ
1. तक़वा
-अल्लाह के इलहाम के लिए इबादत करना
-हर छोटी से छोटी चीज पाने के लिए खुदा का शुक्रिया अदा करना
-इस दुनिया से हमेशा के लिए विदा होने की तैयारी
-आत्मानुशासन
-आत्मनियंत्रण
-आत्म-संयम
-आत्म-ज्ञान
-आत्म-मूल्यांकन
इन सबको अपनाकर मुस्लिम अपनी निजी और सार्वजनिक जिंदगी में तक़वा की अवधारणा को हासिल कर सकता है।
2. हिफाजत
-अनैतिकता से बचाव
-गुस्सा/चिल्लाना/उपद्रव से बचना
-सभी तरह की मकरूह/मशबूह/हराम चीजों से बचना
इन अच्छी चीजों को अपनाकर एक मुस्लिम रोजा रखकर समाज में मानवीयता को बेहतर तरीके से पेश करता है।
3. पवित्र कुरान का अवतरण रमजान के महीने में हुआ था। पवित्र कुरान का मतलब है –
-मानवता के लिए एक मार्गदर्शन
-गलत से सही पर लाने का एक रास्ता
-पूर्व के सभी रहस्योद्घाटनों का संकलन और समापन एक जगह
-मानने वालों में एक तरह की खुशी
– एक आरोग्यसाधक
– और एक दया
4. जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं
5. दोजख के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं
6. शैतान/राक्षसों को जंजीरों में बांध दिया जाता है
7. ईमान और उम्मीद के साथ रोजे रखनाः ऐसे मकसद से रोजा रखने वालों के गुनाहों को अल्लाह माफ कर देता है।
8. रय्यान का दरवाजा
बताया गया है कि जन्नत में एक दरवाजा है जिसे अल रय्यान के नाम से जानते हैं। यहां से रोजा रखने वालों को प्रवेश मिलेगा। इसलिए जो रमजान के महने में व्रत रखेगा, उनके लिए स्वर्गलोक की खुशियों का इंतजाम है।
9. खुश होना
जो लोग रोजा रखते हैं, वे दो तरह से खुश होते हैं। ये हैं –
पहली, जब रोजा इफ्तार करते हैं
दूसरी, जब अल्लाह से फैसले के दिन मुलाकात होगी
10. मुंह की गंध
रोजे के दौरान मुस्लिम शख्स के मुंह से निकलने वाली गंध फैसले के दिन मुश्क की खुशबू से भी बेहतर होगी।
11. खुशी के संदेश
जब आप बीमार होते हैं तो आपके चाहने वाले आपकी बेहतरी की कामना करते हैं और यह रमजान में रुक जाता है, क्योंकि इस दौरान आप बीमार नहीं होते हैं।
12. रमजान से रमजान तक
जो नेक मकसद से लगातार दो रमजान में रोजे रखता है, उनके गुनाह माफ कर दिए जाते हैं और फिर वे पूरे साल सही तरीका अपनाते हैं।
13. कई गुना इनाम
रमजान के महीने में इबादत या अच्छा काम करने के बदले 10 गुना, 70 गुना, 700 गुना या इससे भी अधिक इनाम मिलता है।
14. दावत देना
जो भी शख्स दूसरे को इफ्तार के लिए दावत देता है या जो भूखे, जरूरतमंद को रमजान के आखिरी दस दिनों में खाना खिलाता है तो उसको भी रोजाना रखने वाले जितना सवाब मिलता है।
15. इफ्तार की अहमियत
इफ्तार के समय मांगी जाने वाली दुआ को अल्लाह कुबूल करता है।
16. सहरी की अहमियत
सुबह तड़के खाने से आपको ये मौके मिलते हैं-
-रात की इबादत
-जिक्र, याद करना, चिंतन
-फज्र की नमाज जमात से पढ़ना
-फज्र की दुआ
17. रात की इबादतें
जो शख्स पूरी ईमानदारी और नेक मकसद से रात की इबादतें करता है, उनके पुराने गुनाह माफ कर दिए जाते हैं।
18. शफाअत (गुनाहों की माफी की सिफारिश)
जो शख्स रमजान में रोजे रखता है, फैसले के दिन उसकी शफाअत करेंगेः
-रमजान
-पवित्र कुरान
19. इहया (पूरी रात जगना)
रमजान माह के आखिरी दस दिन में जब कोई मुस्लिम पूरी रात जगने की कोशिश करता है तो उसे इसका इनाम मिलता है, उसके गुनाहों की माफी और कई तरह की शुभकामनाएं।
20. ऐतेकाफ
रमजान के आखिरी दस दिनों में जो मुस्लिम इसे करता है, उसे हासिल होगाः
-दुआ और इनाम
-मन की शांति
-चिंतन और मूल्यांकन
-बेहतर नागरिक
21. लैलतुल क़द्र (तेज की रात)
जो शख्स इस रात को (रमजान के आखिरी दिनों की रातें) ईमानदारी और नेक नीयत से इबादत करता है तो उनको ये फायदे मिलेंगेः
-गुनाहों की माफी
-1000 महीनों से अधिक के बराबर सवाब
-दुआ
-जिक्र
-प्रार्थनाएं
-पवित्र कुरान की तिलावत
-इनाम
-शुभकामनाएं
-बेहतर मानव
22. उदारता
दयालुपन, अस्पताल, देखभाल इत्यादि। रमजान में इन सबका और अन्य का भी फायदा मिलता है।
23. ज़कात-ए-फितरा (ईद के दिन दान करना)
जरूरतमंद को दान करने से निम्न फायदे होते हैं-
-शुद्धता
-जरूरतमंद को भोजन देना
-खुशी बांटना
-मानवीय रिश्ते बेहतर बनाना
-समाज का बेहतरी
24. सदक़ा (दान)
दान करने के कई फायदे हैं, इनमें से प्रमुख हैं-
-शुद्धता
-धन-दौलत की समृद्धि
-आर्थिक संपन्नता
-संपत्ति का प्रसार
-गरीबी का खात्मा
25. रोजा और स्वास्थ्य
-दिमाग का साफ होना
-शरीर का पुनर्जीवन
-खुशहाल जिंदगी जीना
-कम उम्र का दिखना
26. जीवनशैली में बदलाव
अलग तरह की जीवन शैली को अपनाने ने से एक तरह के नीरस जीवन से छुटकारा मिलता है और आनंदपूर्वक लंबी जिंदगी बिताते हैं।
27. साझा करना
भूख, प्यास और समाज के अन्य तरीके अपनाकर लोगों के साथ एकसा जीवन बिताना।
28. ईद-उल-फितर (त्योहार)
मिलकर खुशी बांटना और समाज के हर घर जाकर मिलना और एकसाथ भोजन करना।
29. कब्रिस्तान जाना
कब्रिस्तान जाने से निम्न फायदे होते हैं-
-मरहूम के लिए दुआ करना
-खुद को दुनिया से जाने के लिए तैयार करना
-मरहूम के लिए अदब का अहसास
-खुद के जीवन को सादा और नम्र बनाना
30. हर सांस तस्बीह है
हर सांस और यहां तक कि सोना भी एक इबादत है और इसका भी इनाम मिलता है।
Courtesy : qul.org.au