हम और आप कसरत के फायदे जानते हैं। शुगर, हाई बीपी, माइग्रेन, दिल की बीमारियों से तो एक्सरसाइज बचाती ही है, मगर अब आप इस लिस्ट में पार्किंसंस का नाम भी जोड़ सकते हैं। बुढ़ापे की वो बीमारी जो आपने यकीनी तौर पर किसी न किसी को होते जरूर देखी होगी। फिल्मों में जब कोई जवान एक्टर किसी बूढ़े का किरदार निभाता है तो वो अपने हाथ पैर हल्के हल्के कंपकंपा कर यह जताता रहता है कि वह बूढ़ा है। आपने गौर किया होगा कि कई उम्रदराज लोगों के हाथ, पैर वगैरा हल्के हल्के हिलते रहते हैं। वह बारीक काम नहीं कर पाते। इसी को पार्किंसंस कहते हैं। दरअसल इस बीमारी में दिमाग और बॉडी का तालमेल कम हो जाता है। बहरहाल एक अच्छी खबर ये है कि कसरत करने वाले लोगों से यह बीमारी काफी दूर रहती है।
इस बीमारी के इलाज की दिशा में विज्ञान ने तरक्की तो की है मगर सच ये है कि यह बीमारी करीब- करीब लाइलाज है। हालांकि हम तो इसे दूर रखने का फॉर्मूला आपको बता रहे हैं। स्वीडन के वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च के बाद बताया कि जो मर्द कसरत करते हैं, घर का काम करते हैं या फिर साइकिलिंग वगैरा में एक्टिव रहते हैं उनमें इस बीमारी की चपेट में आने के चांस उन लोगों के मुकाबले 45 फीसदी कम होते हैं जो पार्क में बैठकर खाली गप्पे मारते हैं।
यहां आपको एक बात और बता दें कि महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को यह बीमारी होने के चांस 50 फीसदी ज्यादा होते हैं। शोध में जुटे एमडी, पीएचडी, फी येंग कहते हैं कि पार्किंसस का रिश्ता एक ऐसे कैमिकल के उत्पादन से जुड़ा है, जो आपके न्यूरो सिस्टम की हरकतों से पैदा होता है। एक्सरसाइज करने वाले लोगों के न्यूरोट्रांसमीटर निठल्ले लोगों के मुकाबले ज्यादा एक्िटव होते हैं। अब ज्यादा विज्ञान में जाने की जरूरत नहीं है। आप बस इतना करें कि हफ्ते में कम से कम छह घंटे थोडी कठिन वाली मेहनत करें। यह उम्रदराज लोगों के लिए है, जवानों को तो रोज एक्सरसाइज करनी चाहिए।
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