1 सीटेड लेग एक्स्टेंशन – जिमों में यह एक्सरसाइज बहुत पॉपुलर है। फीजियोथैरेपी में भी इसका काफी इस्तेमाल होता है। इसमें बस इतना भर करना होता है कि मशीन पर बैठे, वेट सेट किया और कसरत शुरू। शुरुआती बॉडी बिल्डर लेग वाले दिन इस मशीन पर अच्छा खासा टाइम पास करते हैं और जो लोग स्क्वेट या लंजेस जैसी कसरतों से बचते हैं वो भी सीटेड लेग एक्सटेंशन की मशीन पर टाइम बिताते हैं।
इस कसरत में गड़बड़ क्या है – यह कसरत बिखरी हुई है। वेट आपके टखनों पर टिका होता है और ताकत आपके घुटनों से लग रही होती है। इस कसरत में दो खामियां हैं एक तो ये लेग्स बनाने में बहुत कारगर नहीं है और दूसरी इससे घुटनों पर बहुत प्रेशर पड़ता है। अगर पहले से आपके घुटने में चोट है तो ये उसे और बढ़ा सकती है। हमारी बॉडी इस तरह से वेट उठाने की आदी नहीं होती। चाहे पुश करना हो या पुल या लिफ्ट हम डायरेक्ट फोर्स लगाते हैं पर इस कसरत में हमारा पैर एक औजार बन जाता है। इस कसरत के बिना भी अच्छे मसल्स बनाए जा सकते हैं। हो सके इस कसरत को एवॉइड करें।
2 गुड मॉर्निंग – कसरत अच्छी है। नाम भी अच्छा है। इस एक्सरसाइज का नाम यूरोपीय कल्चर से आया है। वहां पुराने समय में कुछ इसी तरह से झुक कर गुड मॉर्निंग विश की जाती थी। हालांकि कसरत के दौरान उसके मुकाबले कुछ ज्यादा झुका जाता है। एक एक मूवमेंट आपके हिप्स, ग्लट्स, लोवर बैक और हैमस्ट्रिंग पर काम करती है। इसमें आप कंधे पर एक रॉड रखे होते हैं।
इस कसरत में क्या गलत है – वही जो सीटेड लेग एक्सटेंशन में है। लोड कहीं और एक्शन कहीं और। इसमें भी हमारी बॉडी एक औजार बन जाती है। इसे करने में सबसे बड़ा चैलेंज है इसकी फॉर्म को सौ फीसदी सही रखना। यकीन मानें जो लोग प्रोफेशनल नहीं हैं वो इस एक्सरसाइज को आमतौर पर गलत ही करते हैं। इसका फायदा हो या न हो मगर गलत ढंग से करने पर कंधों से लेकर पैर तक कहीं के भी मसल्स में इंजरी हो सकती है। यही इस कसरत की सबसे बड़ी खामी है कि इसे नुकसान पहुंचाने के लिए कंधे से लेकर काफ तक की जगह मिलती है। आमतौर पर महिलाएं इससे जूझती ही नजर आती हैं।
हमारी सलाह है कि हमेशा सेफ साइड चलें अगर आप इसे सौ फीसदी सही ढंग से नहीं कर सकते तो इससे दूर रहें। यह ऐसी कसरत भी नहीं है कि इसके बिना आपकी लोवर बैक मजबूत नहीं होगी।
3 स्क्वेट्स – बॉडी बिल्डिंग की टॉप पांच कसरतों में इसकी गिनती होती है। स्क्वेट्स नहीं तो कुछ नहीं। पावर, स्टेमिना, मसल्स, हार्मोंस सबकुछ इससे जुड़ा है। एक कच्चा लिफ्टर स्क्वेट्स की बदौलत की सच्चा लिफ्टर बनता है। यह कसरत जितनी बेहतरीन है उतनी ही खतरनाक भी है। इसमें लगी चोट शख्स को कई बार हमेशा के लिए जिम से बाहर कर देती है।
क्यूं खतरनाक है स्क्वेट्स – अगर गलत फॉम से ये कसरत की तो आपके घुटने और कमर का बैंड बजना तय है। हाफ स्क्वेट्स करना सबसे बड़ी गलती होती है। इस कसरत का नियम है, नीचे तक जाएं। ऐसा भी नहीं है पूरा नीचे बैठ जाना है मगर तब तब जाएं जब तक पूरा वेट हिप्स पर न आ जाए। घुटनों पर वेट नहीं टिकाया जाता। हाफ स्क्वेट में घुटनों पर बहुत बुरा असर पड़ता है।
इस कसरत को करते वक्त अगर आपकी हिप्स का मूवमेंट सही नहीं रही तो कमर पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। हमेशा नीचे बैठते हुए हिप्स को बाहर की ओर फेंकें और ऊपर उठते हुए छत की तरफ सा बिल्कुल सामने देख सकते हैं। इस कसरत के साथ दो और चीजें हैं। एक तो जब आप बहुत हैवी वेट लगाएंगे तो बेल्ट भी कुछ खास काम नहीं कर पाएगी इसलिए अपनी फॉर्म सही रखकर ही आप इंजरी से बच पाएंगे और दूसरी बात इसमें कोई नौसिखिया शख्स हेल्प नहीं दे सकता।
इसमें हेल्प देने वाला शख्स आपके पीछे रहेगा और उसके दोनों हाथ आपके बगल से निकलते हुए आपकी चेस्ट को थामेंगे। हेल्प देने में जरा भी डगमगाया तो बड़ी गड़बड़ हो सकती है। हम इस कसरत को एवॉइड करने की सलाह नहीं देंगे क्योंकि यह बहुत जरूरी एक्सरसाइज है, बस इतना कहेंगे कि संभल कर करें।
4 इंक्लाइन बेंच – अपर चेस्ट बनाने में इस कसरत का कोई अल्टरनेट नहीं है। आपको यह कसरत करनी ही होगी। इस कसरत में सबसे खतरनाक होता है बॉडी का पोस्चर। इसे करते वक्त कमर में एक कर्व बन जाता है। यही कर्व या घुमाव अगर सही ढंग से बना तो सब ठीक है नहीं तो आगे चलकर कमर में दर्द होना तय है। इस एक्सरसाइज में चोट लगने की सबसे ज्यादा गुंजाइश होती है एडजस्ट करने वाली सीट की वजह से। इंक्लाइन बेंच में ऊंचाई को कम ज्यादा करने का ऑप्शन होता है।
आमतौर पर आप नट बोल्ट को खोलकर उसे मनचाही जगह पर रोककर नट फंसा देते हैं। मगर ऐसी घटनाएं हुई हैं, जब नीचे वाली सीट वजन पड़ते ही झटके से बिल्कुल नीचे भाग गई। दूसरी बात, इस एक्सरसाइज में कई बार वेट को वापस रखना इंजरी का कारण बन जाता है। इसमें वेट फ्लैट बेंच के मुकाबले ऊंचा होता है। जब हम हैवी वेट लगाते हैं तो कई बार आखिरी रैप निकालने में हमारा दम निकल जाता है और हम जैसे तैसे वेट को बेंच पर रख देते हैं।
यह फ्लैट बेंच में तो आसानी से हो जाता है मगर इंक्लाइन में बॉडी का पोस्चर काफी बिगड़ जाता है। इसमें गर्दन से लेकर कमर तक इंजरी की गुंजाइश होती है। हमेशा ध्यान रखें, इस बेंच पर बैठने से पहले सीट के नट बोल्ट को जरूर चेक करें। अगर हैवी वेट लगा रहे हैं तो साथ में किसी मददगार को रखें और अगर वो बहुत काबिल न हो तो उसे पीछे की ओर ही खड़ा करें।
5 पुलोवर – अपर बैक, पेट और चेस्ट को शेप देने वाली एक्सरसाइज है पुलोवर। इसे चेस्ट के आखिरी सेट के तौर पर भी लगा सकते हैं और बैक वाले दिन भी यह कसरत की जा सकती है।
इस कसरत के साथ दो खतरे जुड़े हुए हैं, नंबर एक कमर पर जोर पड़ना और दूसरा प्लेटों का खुल जाना। अक्सर हैवी पुलोवर लगाते वक्त हम चूड़ी वाले डंबल का इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि इसमें वेट बढ़ाने की सुविधा होती है। पुलोवर में एक ओर ज्यादा वेट और दूसरी ओर थोड़ा कम वेट रखते हैं। इससे डंबल इधर उधर भागता नहीं है। अगर नट कसने में जरा भी गड़बड़ी हुई तो सारा वेट खुलकर सीधे मुंह या चेस्ट पर आकर गिरता है।
यह दुर्घटना तो खुद मेरे साथ हो चुकी है। मैं उस वक्त करीब 40 किलो वेट लगाकर पुलोवर लगा रहा था। अचानक नीचे का नट खुल गया और दो प्लेटें सीधे मेरे मुंह पर आकर गिरीं। नाक फूटी और होंठ फट गया। ऐसी एक घटना और मेरे सामने और हुई है। अगर हैवी वेट लगाया है तो नट को बहुत टाइट लगाएं और उसे क्रॉस चेक जरूर करें। जब वेट नीचे जाए तो उसे कभी भी जमीन पर टच न होनें दें इससे नट ढीला हो जाता है। अगर एक्सरसाइज करते वक्त प्लेटों की आवाज आ रही हो तो भी नट के हिलने की गुंजाइश बनती है।
इस कसरत में दूसरा खतरा है कमर का। आमतौर पर लोग बेंच को क्रॉस करते हुए लेटते हैं। ऐसे में कमर हवा में रहती है, केवल अपर बॉडी का आधा हिस्सा ही बेंच पर होता है। इससे कमर पर जोर पड़ता है। ध्यान रखें अगर आप इस तरह से लेटे हैं तो डंबल नीचे जाते वक्त कमर को नीचे की ओर और डंबले ऊपर आते वक्त कमर को थोड़ा ऊपर की ओर मूव करें। वैसे हो सके बेंच पर सीधा लेटें और पैरों पर किसी को बैठा लें और हैवी प्लेट दोनों हाथों में पकड़कर यह कसरत करें। इससे न तो डंबल खुलने का डर होगा और कमर को भी सपोर्ट मिलता रहेगा।