दुनिया के 1 अरब 10 करोड़ किशोंरो और जवानों पर बहरेपन का खतरा मंडरा रहा है। इसकी वजह है ऑडियो डिवाइस जैसे ईयरफोन, स्मार्ट फोन का अनसेफ इस्तेमाल और नाइट क्लबों व एंटरटेनमेंट के दूसरे ठिकानों पर होने वाला शोर। यह खुलासा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की एक रिपोर्ट ने किया है। ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) ने भी कहा है कि ईयरफोन पर लंबे समय तक गाने सुनने से कानों पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। आने वाले 15 से 20 सालों में इसके बुरे नतीजे बड़ी संख्या में सामने आएंगे।
जब हम ईयरफोन का इस्तेमाल करते हैं तो आवाज सीधे हमारे कानों के भीतर पहुंच जाती है। कहा तो यह जाता है कि एक बार में लगातार 15 मिनट से ज्यादा ईयरफोन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। बीच बीच में कानों को रेस्ट देते रहना चाहिए।
फिलहाल डब्लूएचओ की रिपोर्ट की बात करते हैं। संगठन ने हाई और मिडल इंकम वाले देशों में एक स्टडी की। इसमें पता चला कि 12 से 35 साल के किशोर और युवकों में से करीब 50 फीसदी अपने फोन या आई पॉड वगैरा से बहुत तेज आवाज में गाने वगैरा सुनते हैं और 40 फीसदी एंटरटेनमेंट के ठिकानों पर जरूरत से ज्यादा तेज आवाज सुनते हैं।
डिपार्टमेंट फॉर द मैनेजमेंट ऑफ नॉन कम्युनिकेबल डिज़ीज़ेज़, डिसएबिलिटी, वॉइलेंस एंड इंजरी प्रिवेंशन के डायरेक्टर डॉक्टर एटिन क्रुग का कहना है कि जवान लोग अपनी रोजमर्रा के कामकाज और मस्ती के दौरान खुद को बेहरेपन के खतरे में डाल रहे हैं।
डब्लूएचओ की सलाह
रोजमरर्रा की जिंदगी में कामकाज के दौरान आपको 85 डेसिबल तक के शोर में ज्यादा से ज्यादा आठ घंटे तक रहना चाहिए। नाइट क्लब, बार और खेलकूद के ईवेंट्स में इससे कहीं ज्यादा तेज आवाज होती है। ऐसे में आपको लगातार यहां नहीं रहना चाहिए। यह मान कर चलें कि 100 डेसिबल का शोर 15 मिनट से ज्यादा सेफ नहीं है।
- कैसे कम करें ईयरफोन के नुकसान
छोटे और स्टाइल वाले ईयरफोन का इस्तेमाल न करें क्योंकि ये सीधे आपके कान में घुस जाते हैं। इसके बदले बड़े हेडफोन लगाएं। - अपना ईयरफोन दूसरों से शेयर न करें। परिवार के लोगों से भी नहीं।
- अगर ईयरफोन पर कोई रबड़ या स्पंज लगा है तो उसे एक महीने में बदल दें।
- सफर करते वक्त ईयरफोन का इस्तेमाल करने से परहेज करें क्योंकि तब आप वॉल्यूम बहुत बढ़ा देते हैं।
- हर 15 मिनट बाद कान को आराम दें।