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गोली खाकर गिरे इराक के हमीद को भारत ने फिर पैरों पर खड़ा किया

गुड़गांव। घुटने में लगी एक गोली ने इराक के 45 वर्षीय हमीद को एक पैर से लाचार कर दिया। सर्जरी हुई, दवाएं चलीं मगर उनके घुटने में जान नहीं लौटी।
उनके घुटने का जोड़ पूरी तरह से बर्बाद हो चुका था। जांघ की हड्डी, पैर की हड्डी तथा पलिया (घुटने को सुरक्षा देने वाली हड्डी) भी प्रभावित हो चुकी थी।paras-for-web
अपने पैरों पर फिर से चलने की उम्मीद लेकर वह भारत आए। यहां गुड़गांव स्थित पारस अस्प्ताल में ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी के प्रमुख डॉ. विवेक लोगानी तथा ज्वाइंट रिप्लेसमेंट कंसल्टेंट डॉ. दीपक ठाकुर की उनकी जांच की।
लोगानी ने बताया, “उनके फेमर (जांघ की हड्डी), तिबिया (पैर की हड्डी) और पलिया ( घुटने की कटोरी) के बीच की हड्डी पूरी तरह गल चुकी थी और यह लगभग 30-40 डिग्री तक मुड़ चुकी थी। घुटने के जिस स्थान पर गोली लगी थी और जहां की सर्जरी हुई थी, वहां बड़ी मात्रा में सॉफ्ट टिश्यू के निशान थे। यह मामला अत्यंत जटिल और दुर्लभ था जिसमें हड्डियों के गलने के कारण घुटना काफी सख्त हो चुका था जिस वजह से आसपास की मांसपेशियां और लिगामेंट्स को भी बहुत नुकसान हो रहा था। लिहाजा हमने जख्म के निशान वाले स्थान से बचते हुए एक अलग स्थान पर चीरा लगाने की व्यापक योजना तैयार की।
यह सर्जरी काफी जटिल थी जिसमें जांघ की हड्डियों से लगी मांसपेशियों को अलग करने, नी कैप, जांघ और पैर की हड्डी के बीच क्षतिग्रस्त स्थान को बहुत सूक्ष्मता से काटने की जरूरत थी ताकि सही जगह पर एक नया ज्वाइंट स्थान बनाया जा सके। इसमें जांघ और पैर की हड्डियों के साथ स्टेम को जोड़ते हुए विशेष तरह का कृत्रिम घुटना  प्रत्यारोपित करने और लिगामेंट्स के बीच कुशलता से संतुलन बनाए रखने की भी जरूरत थी। सर्जरी में एडवांस्ड कंप्यूटर नैविगेशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया।
तीन घंटे तक चली सर्जरी के अंत में डॉक्टर घुटने को लगभग 100 डिग्री तक मोड़ने में कामयाब हुए जो पिछले चार साल से सख्त और नाकाम हो चुका था।
डॉ. दीपक ठाकुर ने बताया, “सौभाग्य से हमने मरीज को बड़े सहज और सफल तरीके से रिकवरी करते पाया। मरीज अब घुटने को 90 डिग्री तक आसानी से मोड़ते हुए कुर्सी पर बैठ सकता है और यह सर्जरी के एक दिन बाद से ही संभव हो गया। हमारे रिहैबिलेशन प्रमुख डॉ. वसीम ने अपनी पूरी टीम के साथ मरीज को अपनी जांघ की मांसपेशियों की ताकत वापस दिलाने में मदद की जो घुटने की सक्रियता के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है।”
सर्जरी के पांच दिन बाद मरीज छड़ी के सहारे चलने-फिरने लगा है और सीढि़यां चढ़ने की भी कोशिश करने लगा है। इसके अलावा घुटने को शून्य से 90 डिग्री तक मोड़ने के लिए कुछ आसान और दर्दरहित व्यायाम भी कर रहा है। जिस जगह उसकी सर्जरी हुई, उसके जख्म भी अब भर चुके हैं।
हमीद अपनी रिकवरी से काफी खुश हैं और उन्हें लगता है कि उन्हें एक नई जिंदगी मिल गई है। वह चार साल बाद फिर से अपने पैरों पर खड़े हो सकते हैं, चल सकते हैं और अब सामान्य जीवन व्यतीत करने की उम्मीद कर सकते हैं।

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2 comments

  1. सर हम गुड हेलथ कैपसूल जै कि सर ये जाना चाहते है कि कोई साईडाफ्टे तो नही हम को अरब जाना है सर मेडिकल लखनऊ कर वाने जाना है सर कोई बात तो नही ना होगि सर आप बाताईऐ

    • उसके बारे में काई कुछ नहीं कह सकता पता नहीं कया हो उसमें।

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