देखने में बड़ा आसान सा दिखने वाला शीर्षासन कठिन है और इससे मिलने वाले लाभ इतने सारे हैं कि उन्हें एक जगह लिखने और पढ़ने में बड़ा वक्त लग जाएगा। यूं समझ लीजिए कि शीर्षासन आसनों का अब्बा है। कहते हैं कि इस आसन का नियमित अभ्यास करने वाला व्यक्ति बूढ़ा नहीं होता। अगर आपको दिल की बीमारी या बीपी की परेशानी नहीं है तो इसे जरूर-जरूर करें और हां ध्यान रखें अगर बीपी वगैरा की दिक्कत है कतई न करें।
शीर्षासन कैसे करें
आपको सिर के बल खड़ा होना है। इसके लिए सबसे पहले एक कपड़े को गोलाई में मोड़ लें। आपने मजदूरों देखा होगा वो सिर पर भार उठाने से पहले कपड़े का गोल सा तकिया सिर पर रखते हैं, जैसा मटके को टिकाने में भी इस्तेमाल होता है। इस कपड़े को आपको सिर और जमीन के बीच में रखना है। अपनी उंगलियां आपस में फंसा लें और अपने सिर के ऊपरी हिस्से को पीछे से थाम लें। इसी पोजीशन में आपको अपने पैर सीधे करने हैं। शुरू में आप पैरों को सीधा न खोलें, घुटनों को मोड़ कर पंजे दीवार पर टिकाएं और इसी पोजीशन में थोड़ा अभ्यास कर लें। घुटने मोड़कर अगर आप टिक गए तो फिर धीरे-धीरे उन्हें सीधा कर लें। अभ्यास बढ़ाएं और कुछ देर इसी तरह से रहें। वैसे सिर के नीचे कपड़े की पोटली लगाना जरूरी नहीं है।
सावधानी बेहद जरूरी
इस आसन के साथ चंद सावधानियां बेहद जरूरी हैं। पहली तो ये कि बीपी के मरीज और दिल के रोगी इसे कतई न करें। आसन करने के बाद सीधे खड़े हो जाएं और हाथों को ऊपर करके मुट्ठियों को दस बार बंद करें तथा खोलें। ऊपर के शरीर की हल्की मालिश भी करें। इसके बाद आपने जितनी देर शीर्षासन किया है कम से उसके आधे समय श्वासन करें। याद रखें श्वासन करना जरूरी है। शीर्षासन करने के दौरान खून बड़ी तेजी से आपके दिल और दिमाग की तरफ भागता है। श्वासन करने से वह वापस धीरे-धीरे पूरे शरीर में लौट जाता है। यह आसन को महिला-पुरुष दोनों कर सकते हैं।
शीर्षासन के लाभ
– योग की किताबें कहती हैं कि इस अकेले आसन में हजारों आसनों के गुण हैं।
– आंखों की कमजोरी, बालों का पकना, बाल झड़ना व खून से जुड़े रोगों को यह दूर करता है।
– इसे करने से नजला जुकाम बड़ी जल्दी ठीक होता है।
– इसका सबसे अच्छा गुण ये है कि ये दिमाग से जुड़े रोग ठीक करने में बहुत कारगर पाया गया है।
– इस आसन को करने से दिमाग, दिल और शरीर के ऊपरी हिस्से में रक्त संचार बढ़ जाता है।
– योग की किताबें कहती हैं कि दिमाग में लगे तालु स्थान में चंद्रमा मौजूद है, जहां से मनुष्य के शरीर में
अमरित रस झरता रहता है जो लोग यह आसन करते हैं उनका सूर्य जो कि नाभि कें अंदर होता है उस रस को जलने नहीं होने देता। इसलिए इस आसन को नियमित करने वाले योगी बूढ़े नहीं होते।
I m in the age of 64 sd i go for sheersasan i m diabetic
My bp is 140 to 150 & 90.
No